
साउथ दिल्ली में 16,500 पेड़ काटने के मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एनबीसीसी समेत डीडीए और अन्य एजेंसियों की कड़ी फटकार लगाई है और सवाल किया कि देश के दो बड़े अस्पतालों AIIMS और सफदरजंग के बाहर मरीजों को जहां पानी भी नहीं मिल पा रहा है, वहां दोनों अस्पतालों के बाहर रीडेवलपमेंट के नाम पर पेड़ों को कटाई क्यों की जा रही है?
मामले की सुनवाई करीब आधे घंटे तक चली. इस दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस हरि शंकर की बेंच इतनी नाराज थी कि उन्होंने साफ कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो कोर्ट एनबीसीसी के इस पूरे प्रोजेक्ट पर रोक लगा देगा. कोर्ट ने कहा कि क्या 2 मंजिल को तोड़कर 8 मंजिल बनाने को आप रीडेवलपमेंट मानते हैं? ये कैसा डेवलपमेंट है जिसमें पेड़ों को काटकर दिल्ली के व्यस्त इलाके में बिना इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाये पेड़ काटकर कंस्ट्रक्शन को बढ़ाया जा रहा है.
फिलहाल, हाईकोर्ट ने पेड़ काटने पर 26 जुलाई तक रोक लगा दी है. और कोर्ट ने एनबीसी, डीडीए, केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार को प्रोजेक्ट और पेड़ काटने पर डिटेल में जवाब दायर करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने सभी एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा कि 2 मंजिला बिल्डिंग को 8 मंजिला बिल्डिंग में तब्दील करना रीडेवलपमेंट नहीं होता. इसके अलावा हाईकोर्ट ने दिल्ली में किसी भी विभाग को पेड़ कटाई की परमिशन देने पर रोक लगा दी है.
इससे पहले 2 जुलाई को एनजीटी में हुई सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने एनबीसीसी समेत सभी एजेंसियों को ना सिर्फ कड़ी फटकार लगाई थी बल्कि 19 जुलाई तक पेड़ों की कटाई पर भी रोक लगा दी थी. पिछले कुछ सालों में दिल्ली एनसीआर में लगातार कंस्ट्रक्शन बढ़ने से ग्रीन कवर कम होता जा रहा है हाईकोर्ट की चिंता इस बात की है कि अगर रीडेवलपमेंट के नाम पर आगे भी पेड़ यूं ही काटे जाते रहे तो फिर दिल्ली को रेगिस्तान बनने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.