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हरिवंश पर जीता NDA, क्या 3 तलाक पर भी बनी रहेगी एकजुटता? 3 दलों पर नजर

राज्यसभा उपसभापति के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार हरिवंश की जीत में बीजू जनता दल, AIADMK और टीआरएस जैसे दलों की अहम भूमिका रही है. क्या ये तीनों दल तीन तलाक संशोधन विधेयक पर भी सरकार का साथ देंगे या फिर पहले की तरह ही विरोध में रहेंगे.

विजय गोयल, नरेंद्र मोदी और अनंत कुमार विजय गोयल, नरेंद्र मोदी और अनंत कुमार
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए ने राज्यसभा उपसभापति के चुनाव में अपने प्रत्याशी हरिवंश को जिताने में कामयाब रही है. इसी को देखते हुए सरकार ने तीन तलाक संबंधी विधेयक को संशोधन करके आज राज्यसभा में पेश करना था, लेकिन सरकार ने पेश नहीं किया है. ऐसे में अब सरकार शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि विपक्ष के जिन दलों ने हरिवंश के समर्थन में वोट किया है, क्या तीन तलाक संशोधन विधेयक पर भी मोदी सरकार का साथ देंगे?

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बता दें कि राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी बहस हुई थी. दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े थे. विपक्ष का कहना था कि इस बिल में कई खामियां हैं. ऐसे में इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. पीड़ित महिला के पति के जेल जाने की स्थिति में महिला को गुजारा भत्ता दिए जाने जैसे कई खामियां विधेयक में हैं, जिन्हें संशोधित किया जाना चाहिए.

गुरुवार को ही राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव हुए हैं, इस चुनाव में एनडीए के हरिवंश सिंह ने बड़ी जीत हासिल की है. यही कारण है कि एनडीए अपने को इस आधार पर राज्यसभा में मजबूत स्थिति मानकर चल रही है. ऐसे में केंद्र सरकार चाहेगी कि सत्र के आखिरी दिन तीन तलाक जैसे महत्वपूर्ण बिल को पास करवा पाए.

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दिलचस्प बात ये है कि राज्यसभा उपसभापति में चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में विपक्ष दलों की ओर से वोटिंग करने वाले एआईएडीएमके, बीजेडी और टीआरएस तीन तलाक विधेयक के खिलाफ रहे हैं. पिछले सत्र में बीजेडी और एआईएडीएमके ने इस विधेयक का खुलकर विरोध किया था.

मोदी सरकार ने लोकसभा में तीन तलाक बिल में संशोधन प्रस्ताव किया था तो बीजू जनता दल, AIADMK और टीआरएस जैसे विपक्षी दल वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहे थे. बता दें कि इन दलों ने लोकसभा में भी इस विधेयक को समर्थन नहीं किया था.

तीन तलाक संबंधी विधेयक में मोदी सरकार ने तीन संशोधन किए हैं. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि अब इसके बाद राज्यसभा में विपक्षी दलों की आम सहमति बनाने में वे कामयाब रह सकते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि AIADMK और टीआरएस जैसे विपक्षी दल तीन तलाक संशोधन विधेयक पर सरकार के साथ खड़े हो सकते हैं या नहीं.

दरअसल टीआरएस, AIADMK और बीजेपी तीनों दलों के विरोध करने की सबसे बड़ी वजह मुस्लिम वोट थे. तेलंगाना में मुस्लिम मतदाता टीआरएस के साथ हैं. इतना ही नहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM  राज्य में टीआरएस के साथ है. ओवैसी तीन तलाक बिल के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किए हुए हैं. ऐसे में टीआरएस क्या तीन तलाक के संशोधन विधेयक पर उपसभापति चुनाव की तरह मुस्तैदी से खड़ी रहेगी.

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बीजेडी भी तीन तलाक विधेयक के खिलाफ नजर आ रही थी. इसके पीछे भी मुस्लिम वोट प्रमुख माना जा रहा है. ओडिशा में मुस्लिम मतदाता बीजेडी के पक्ष में वोटिंग करता रहा है. राज्य में बीजेपी अपने पैर पसारने में जुटी है. ऐसे में बीजेडी मुस्लिम मतों को अपने साथ जोड़े रखना चाहती है. ऐसे में बीजेडी तीन तलाक पर सरकार को समर्थन करती है या नहीं ये देखना होगा.

तमिलनाडु में मुसलमानों की आबादी छह फीसदी है. AIADMK इस आबादी को अपने ही रखना चाहती है. माना जाता है कि इसके मद्देनजर AIADMK तीन तलाक संशोधन विधेयक का विरोध करती रही है. हालांकि AIADMK विपक्ष में रहते हुए भी मोदी सरकार के साथ खड़ी रही है, लेकिन तीन तलाक पर उसने सरकार को समर्थन नहीं किया है. ऐसे में अब संशोधन के बाद क्या ये दल सरकार का साथ देंगे?

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