
तीन तलाक बिल को राज्यसभा में लाने से पहले सरकार अब विपक्षी दलों के साथ बैठकर इस पर सहमति बनाना चाहती है. मंगलवार को संसद की कार्यवाही के मुताबिक तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पेश करके इसे पास भी कराना था. लेकिन इस बिल के पक्ष में माहौल बनता नहीं देख कर सरकार ने अपना विचार बदल लिया और अब यह बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश होगा.
5 जनवरी तक का है शीतकालीन सत्र
इस बिल पर मंगलवार को चर्चा के लिए ना लाने की एक और वजह यह रही कि सरकार पहले जीएसटी से संबंधित बिल राज्यसभा में पास कराना चाहती है, जो लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है. संसद का शीतकालीन सत्र सिर्फ 5 जनवरी तक है और सबसे पहले सरकार अपने जरूरी बिल को पास कराना चाहती है.
स्वामी बोले-बीजेपी के दोनों हाथ में लड्डू
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि राज्यसभा में तीन तलाक बिल की हालत ऐसी है की सरकार के दोनों ही हाथों में लड्डू हैं. अगर सरकार राज्यसभा में भी यह बिल पास करा लेती है तो मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने वाला कानून लाने के लिए BJP को श्रेय मिलेगा. लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अगर विपक्षी पार्टियां इस बिल को रोक देती हैं तो भी BJP को कोई नुकसान नहीं है क्योंकि तब इसका विरोध करने वालों के चेहरे बेनकाब करने का मौका मिलेगा.
सुब्रमण्यम स्वामी से जब यह पूछा गया कि कुछ लोगों का कहना है कि तीन तलाक के लिए 3 साल के जेल का प्रावधान ज्यादा है तो उन्होंने कहा कि उनके विचार से इसके लिए 3 साल की नहीं बल्कि 7 साल की सजा होनी चाहिए.
कांग्रेस बिल पर करेगी संशोधन की मांग
कांग्रेस पार्टी भी साफ कर चुकी है कि वह इस बिल का विरोध तो नहीं करेगी, लेकिन इसमें संशोधन की मांग करेगी. समाजवादी पार्टी भी इस बिल में संशोधन की मांग कर रही है. जाने-माने वकील और राज्यसभा के सांसद माजिद मेनन ने भी कहा कि सरकार ने इस बिल को जल्दबाजी में तैयार किया और इसमें मुस्लिम प्रतिनिधियों, मुस्लिम महिलाओं और मुस्लिम सांसदों की कोई राय नहीं ली गई. उनका सबसे ज्यादा विरोध इस बात को लेकर है कि तीन तलाक कानून का दुरुपयोग हो सकता है क्योंकि अगर कोई महिला अपने पति पर आरोप लगा देती है कि उसने तीन तलाक कहा है तो किसी सबूत के बगैर भी उसे जेल की हवा खानी पड़ सकती है.
अगर सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया बिल
सरकार अब इस कोशिश में लगी है कि बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने से रोकने के लिए अगर विपक्ष के कुछ छोटे-मोटे सुझाव और संशोधन मानने की जरूरत पड़े तो उसे मान लिया जाए ताकि बिल जल्द से जल्द पास हो सके. अगर राज्यसभा इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने का फैसला देती है. तब यह बिल बजट सत्र में ही पास हो सकेगा.