
एक साथ तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बाद मोदी सरकार कानून बनाने जा रही है. शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार तीन तलाक के खिलाफ बिल पेश करेगी. मुस्लिम संगठन मोदी सरकार के इस कदम के खिलाफ हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि बीजेपी गुजरात चुनाव में राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए मुस्लिमों से जुड़े मुद्दे को उठा रही है, ताकि ध्रुवीकरण के जरिए वो चुनाव जीत सके.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने कहा कि बीजेपी हर चुनाव के दौरान मुसलमानों से जुड़े मुद्दे को उठाकर वोटों के ध्रुवीकरण कर जीत हासिल करना चाहती हैं. बीजेपी ने गुजरात चुनाव में फायदे के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून वाला मामला उठाया है.
फारूकी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर जो फैसला दिया था, उसमें कानून बनाने वाले मामले 7 जजों से पांच जज खिलाफ थे. इस तरह ये फैसला अल्पसंख्यक फैसला था. ऐसे में मोदी सरकार तीन पर सियासत करना चाहते हैं.
मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के हक में बेहतर कदम उठाना चाहती है, तो मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दें. 47 फीसदी मुस्लिम महिलाएं शिक्षित हैं, लेकिन सरकार को मुस्लिम की तरक्की से कोई मतलब नहीं है, उन्हें तो सियासत करनी है.
कमाल फारुकी ने कहा कि तीन तलाक को रोक लगाने के लिए सरकार कोई कानून बनाने के लिए मुस्लिमों के जानकारों से राय मशवरा करके करना चाहिए. जिस प्रकार सती प्रथा पर रोक लगाने के लिए उस धर्म के जुड़े लोगों की राय ली गई थी और उन्हीं को शामिल किया गया था. इसी तरह मुसलमानों के निजी कानून में भी मुस्लिमों की राय से कोई कदम उठाया जाए.
जफरयाब जिलानी ने कहा कि नरेंद्र मोदी गुजरात में सियासी रोटी सेंकने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने की बात कही है. बीजेपी मुसलमानों से जुड़े मुद्दे के बहाने समाज को बांटकर फायदा उठाना चाहती है. सरकार जब बिल लाएगी तो उसे देखने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपनी बात रखेंगी.