
तलाक अमान्य है. तलाक अवैध है. तलाक असंवैधानिक है. अब तलाक तलाक तलाक शब्द मुस्लिम महिलाओ की जिन्दगी में जहर नहीं घोल पाएगा. क्योकि देश की सर्वोच्च अदालत की संवैधानिक पीठ ने इन तीन शब्दो को असंवैधानिक करार दिया है. ये एक ऐसी जीत है जो सामाजिक सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है. तीन तलाक तो मुगलिया सल्तनत के दौर में भी था. लेकिन चलन के लिहाज से तब भी इसे सामाजिक कुरीति के तौर पर ही देखा जाता था.
तमाम रिवाजों में तलाक ही सबसे बुरा चलन
मुगलिया सल्तनत के दौर के जाने माने इतिहासकार और अकबर के आलोचक और उनके समकालीन अब्दुल क़ादिर बदायूनी ने 1595 में कहा, "चूंकि तमाम स्वीकृत रिवाजों में तलाक़ ही सबसे बुरा चलन है, इसलिए इसका इस्तेमाल करना इंसानियत के ख़िलाफ है. भारत में मुस्लिम लोगों के बीच सबसे अच्छी परम्परा ये है कि वो इस चलन से नफ़रत करते हैं और इसे सबसे बुरा मानते हैं. यहां तक कि कुछ लोग तो मरने मारने को उतारू हो जाएंगे अगर कोई उन्हें तलाकशुदा कह दे." वहीं जहागीर ने भी तीन तलाक पर रोक लगा दी थी. उसे अवैध घोषित कर दिया था.
जो सवाल चार सौ बरस पहले था. उस सवाल पर 21 वी सदी में सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ अगर तीन तलाक को अंसैवैधानिक करार देती हुए फैसला देती है, तो तीन सवालो को समझना होगा.
-पहला, सामाजिक कुरीति या रूढ़िवादी भारतीय मुस्लिम समाज में कितनी गहरी पैठ है.
- दूसरा, अज्ञानता और अशिक्षा मुस्लिम समाज के भीतर कितनी गहरी है.
-तीसरा, असमानता और बराबरी के हक से अभी भी समाज दूर क्यों है.
इस कारण से शायरा बानो ने की याचिका दायर
35 साल की शायरा बानो ने खुद के तलाक को ही अपने मूल अधिकारो के हनन से जोड़ा क्योकि "एक मौलवी ने उनसे कहा, आपके धर्म की वजह से आपके पास मूल अधिकार नहीं हैं."
यानी अगर आप हिंदू, ईसाई या किसी अन्य धर्म को मानने वाली महिला हैं तो आप ठीक हैं लेकिन अगर आप मुस्लिम हैं तो आपके पास मूल अधिकार नहीं हैं. "इसलिए, शायरा बानो ने कोर्ट में जाकर अपने संवैधानिक अधिकारों के हनन की बात रखी. सर्वोच्च अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करने का फैसला लिया."