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एक साल पहले हुई थी शादी, पति कागज पर तलाक लिखकर चला गया...

नाजिया के शौहर ने कागज पर लिखकर तीन तलाक दे दिया. नाजिया इन दिनों अपने मायके में रहकर इंसाफ के लिए लड़ रही हैं. नाजिया की शादी सहारनपुर के डॉक्टर खलीलउल्ला खान से 2013 में हुई. नाजिया ने शौहर के लिए लाखों ख्वाब पाल रखे थे, लेकिन निकाह के एक साल मुश्किल से गुजरे होंगे और सारे अरमान चूर हो गए.

तलाक पीड़िता नाजिया खान तलाक पीड़िता नाजिया खान
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की रहने वाली तलाक पीड़िता नाजिया खान की आठ साल के एक बेटी है, जिसे लेकर वो दर-दर ठोकरे खाने को मजबूर है. नाजिया के शौहर ने कागज पर लिखकर तीन तलाक दे दिया. नाजिया इन दिनों अपने मायके में रहकर इंसाफ के लिए लड़ रही हैं. नाजिया की शादी सहारनपुर के डॉक्टर खलीलउल्ला खान से 2013 में हुई. नाजिया ने शौहर के लिए लाखों ख्वाब पाल रखे थे, लेकिन निकाह के एक साल मुश्किल से गुजरे होंगे और सारे अरमान चूर हो गए.

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नाजिया ने बताया कि शादी के कुछ  महीने गुजरे थे, कि शौहर की खामियां पता चलने लगीं. उसके हर जुल्म को बर्दाश्त किया, लेकिन बाद में वो महीने-महीने घर से गायब रहने लगे. ये उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया था. इस बात को लेकर जब मैंने शौहर से बात की तो उन्होंने मारा-पीटा. हर रोज जुल्म होने लगे.

नाजिया ने कहा कि जिस ससुराल में रहना मेरा ख्वाब था, वही घर मुझे दर्द का दंश देने लगा था. जिस शौहर के लिए अपने मां-बाप को छोड़कर आई थी, वो जुल्म करता था. हालात ऐसे हो गए कि ससुराल में रहना मुश्किल हो गया. आजिज आकर एक दिन वापस मायके चली आई. नाजिया ने बताया कि कई महीने गुजर गए लेकिन उन्होंने मेरी कोई खोज खबर नहीं ली. इसी बीच पता चला कि उन्होंने मेरी शादी से पहले एक और शादी महाराष्ट्र की लड़की से कर रखी थी जिसे तलाक देकर छोड़ दिया है.

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नाजिया ने बताया कि इंसाफ के लिए न्यायालय में घरेलू हिंसा के तहत केस दायर किया तो शौहर ने अपने रसूख के दम पर उलटा चार केस उसके ऊपर दर्ज करा दिए. नाजिया ने कहा कि शौहर एक दिन कोर्ट आया और फाइल में तलाक के कागज लगाकर चला गया. वो अपनी जिंदगी में खुश है और मैं दर-दर की ठोकरें खा रही हूं. बेटी को पालना मुश्किल हो रहा है और इंसाफ के लिए लड़ते लड़ते थक चुकी हूं.

नाजिया ने कहा कि केंद्र सरकार जो कानून ला रही है. उसमें सजा का प्रावधान तो उचित है, लेकिन शौहर की प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा पत्नी को दिया जाना चाहिए. मुआवजे के लिए जो राशि निर्धारित की जाए वो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को देखकर तय की जाए. ताकि उस पैसे में जिंदगी का गुजर बसर हो सके.

नाजिया ये भी कहती हैं कि सरकार को तीन तलाक के खिलाफ बिल बनाने के लिए तलाक पीड़िताओं से विचार-विमर्श करना चाहिए था. इसके बाद ही कोई कानून बनाया जाए. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मौलाना लोग तलाक पीड़िताओं के दर्द के दंश को नहीं झेले हैं. इसीलिए उन्हें तलाक का दर्द महसूस नहीं हो रहा है.

नाजिया कहती हैं कि तीन तलाक के खिलाफ बनाए जा रहे कानून का विरोध नहीं होना चाहिए. ये कानून मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी देगा. शौहर के जुल्म से बीवियां बचेंगी और तलाक के मामले रुकेंगे.

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