
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार सुबह तीन तलाक पर अपना फैसला सुनाएगा. आज तय हो जाएगा कि तीन तलाक मान्य है या नहीं. तीन तलाक को लेकर पिछले काफी समय से देशभर में बहस चल रही है. कोर्ट के इस फैसले से कई सवालों का जवाब मिल सकता है, जिनमें से तीन सवाल अहम हैं.
मिलेगा इन सवालों का जवाब?
1. क्या तीन तलाक कुरान या इस्लाम का हिस्सा है या नहीं?
2. क्या तीन तलाक के मुद्दे को महिलाओं के मौलिक अधिकारों से जोड़ा जा सकता है या नहीं?
3. क्या कोर्ट या संसद इस मसले में दखल दे सकती है या नहीं?
तीन तलाक के पक्ष में नहीं केंद्र
गौरतलब है कि 5 जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट में यह सुनवाई 6 दिनों तक चली थी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में साफ किया था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने तीन तलाक को 'दुखदायी' प्रथा करार देते हुए न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह इस मामले में 'मौलिक अधिकारों के अभिभावक के रूप में कदम उठाए.'
यहां पढ़ें, तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
कैसे शुरू हुआ मामला
उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर एकसाथ तीन तलाक कहने और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी. साथ ही मुस्लिमों की बहुविवाह प्रथा को भी चुनौती दी थी.
शायरा बानो ने डिसलूशन ऑफ मुस्लिम मैरिजेज ऐक्ट को भी यह कहते हुए चुनौती दी कि मुस्लिम महिलाओं को द्वि-विवाह (दो शादियों) से बचाने में यह विफल रहा है. शायरा ने अपनी याचिका में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव के मुद्दे, एकतरफा तलाक और संविधान में गारंटी के बावजूद पहले विवाह के रहते हुए मुस्लिम पति द्वारा दूसरा विवाह करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से विचार करने को कहा है.
15 अगस्त को लाल किले से दिए अपने भाषण में पीएम ने कहा कि तीन तलाक के कारण कुछ महिलाओं को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही हैं, तीन तलाक से पीड़ित बहनों ने देश में आंदोलन खड़ा किया, मीडिया ने उनकी मदद की. तीन तलाक के खिलाफ आंदोलन चलाने वाली बहनों का मैं अभिनंदन करता हूं, पूरा देश उनकी मदद करेगा.