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UP: सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलीं तीन तलाक पीड़िताएं, यूं सुनाई आपबीती

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन तलाक पीड़िताओं से रूबरू हुए. बुधवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर से आईं तीन तलाक पीड़िताओं से मुलाकात की. कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं ने अपनी बात रखी.

कार्यक्रम में कई महिलाओं ने अपनी बात रखी कार्यक्रम में कई महिलाओं ने अपनी बात रखी
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 25 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

  • आगरा की रुही फातिमा ने बताया कि दहेज के लिए मारा-पीटा गया
  • अमरोहा की सुमेरा की मांग- तलाकशुदा महिलाओं को दी जाए नौकरी

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन तलाक पीड़िताओं से रूबरू हुए. बुधवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर से आईं तीन तलाक पीड़िताओं से मुलाकात की. कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं ने अपनी बात रखी. रेशमा बानो ने कहा, "जबतक ये कानून नहीं था जीने का आसरा खत्म हो रहा था, उसको बहाल करके रहने के लिए योगी सरकार ने हमें घर दिया, अब ये कानून दिया, हम नहीं जानते कैसे हम धन्यवाद कहें."

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इस दौरान अमरोहा की रहने वाली नेशनल खिलाड़ी सुमेरा जावेद ने सीएम योगी का धन्यवाद देते हुए कहा कि उसने देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश का नाम रौशन करने की कोशिश की लेकिन महिला होने की वजह से वो घर की लड़ाई हार गईं. सुमेरा जावेद ने अपनी आपबीती मंच से साझा की.

सुमेरा ने कहा, "मुस्लिम महिलाओं को हक दिलाने का काम बीजेपी ने किया है, ये काम कोई और नहीं कर सकता था." सुमेरा ने मांग की कि तलाकशुदा महिलाओं को नौकरी देने का प्रावधान किया जाए. महिलाएं पुलिस से सबसे ज्यादा परेशान हैं, इसलिए मुस्लिम महिलाओं को कुछ सहूलियत देने का काम सरकार को करना चाहिए.

वहीं गोंडा की रहने वाली हिना फातिमा ने कहा, "कबूल... कबूल... कबूल...करके अपनाते हैं तो तलाक...तलाक... तलाक...कहकर छोड़ देते हैं. कोर्ट कचहरी के चक्कर मे महिलाओं का जीवन खराब हो जाता है. मुस्लिम महिलाओं को उनका हक मिलना चाहिए."

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आगरा की रहने वाली रुही फातिमा ने कहा कि उन्हें ससुराल वालों ने बहुत परेशान किया. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे वह सिस्टम से भी परेशान रहीं. रुही ने कहा, "मुझे मारा-पीटा और घर से निकाल दिया. पति को जब दहेज में पैसा नहीं दिया तो उसने तलाक दे दिया. जब मैं थाने गई तो पुलिस ने मुझसे 2 लाख रुपये मांगे. सरकार को महिलाओं को न्याय दिलाने का काम करना चाहिए."

रुही ने कहा कि डीएम से लेकर अन्य अधिकारियों से मिलने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला. वहीं सिद्धार्थनगर से आई हसीना ने कहा कि उनके 2 बच्चे हैं, बावजूद इसके घर वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया. पुलिस भी सुनवाई नहीं कर रही है. ऐसे में न घरवालों का आसरा और न ही कानून का. सरकार हमारी मदद करे. बता दें केंद्र सरकार ने 30 जुलाई को तीन तलाक को खत्म करने के लिए कानून बनाया था.

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