
लेफ्ट के मजबूत दुर्ग त्रिपुरा की सियासी बाजी अपने नाम करने के लिए बीजेपी बेताब है. बीजेपी आलाकमान अमित शाह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राज्य की सियासी रणभूमि में उतर रहे हैं. महीने के आखिरी दिन 31 जनवरी को त्रिपुरा में पीएम मोदी दो रैलियों को संबोधित कर सकते हैं. इस बारे में पार्टी ने तैयारी भी शुरू कर दी है.
त्रिपुरा भले ही छोटा राज्य है लेकिन बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसीलिए पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. त्रिपुरा की जीत न सिर्फ चुनावी जीत होगी बल्कि यह वैचारिक जीत भी साबित होगी. इसी के मद्देनजर बीजेपी ने अपने सबसे प्रभावी चेहरे नरेंद्र मोदी को रण में उतारने का प्लान किया है.
त्रिपुरा की सियासत पर लेफ्ट का कब्जा
गौरतलब है कि त्रिपुरा में 1978 के बाद से वाम मोर्चा सिर्फ एक बार 1988-93 के दौरान सत्ता से दूर रहा था. बाकी सभी विधानसभा चुनावों में लेफ्ट का कब्जा रहा है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों से वाममोर्चा जीतती आ रही है.
1998 से लगातार त्रिपुरा में 3 बार से सीपीएम के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के सामने इस बार बीजेपी एक बड़ी चुनौती बनी है. राज्य में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. वहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है. नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट के क्षेत्रों पर फोकस किया है. इसके अलावा आरएसएस लगातार पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में सक्रिय है.
बता दें कि इस साल अप्रैल में त्रिपुरा विधानसभा चुनाव होने है. बीजेपी राज्य की सत्ता से लेफ्ट को बेदखल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. आरएसएस से लेकर बीजेपी के पन्ना प्रमुख बूथ स्तर के एक-एक वोटरों के संपर्क करने में जुटे हैं. राज्य में बीजेपी के प्रभारी राम माधव गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं.
बीजेपी ने त्रिपुरा की 60 सीटों में से 35 सीटों पर फोकस किया है. खासकर उन सीटों पर जहां सीपीएम 3000 से कम मतों के अंतर से जीती है. बीजेपी ने इन सीटों के लिए रणनीति बनाई है. इतना ही नहीं पीएम मोदी की रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी त्रिपुरा के ईसाई समुदाय के साथ भी लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. त्रिपुरा में बड़ी आबादी ईसाई समुदाय की है.
त्रिपुरा का सियासी समीकरण
त्रिपुरा के 2013 विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 60 सीटों में से वाममोर्चा ने 50 सीटें जीती थी, जिनमें से CPM को 49 और CPI को 1 सीट. जबकि कांग्रेस को 10 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था, लेकिन तीन साल के बाद 2016 में कांग्रेस के 6 विधायकों ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ज्वाइन कर लिया था. इन छह विधायकों टीएमसी भी रह नहीं सके और सभी 6 विधायकों ने अगस्त 2017 में बीजेपी ज्वाइन कर लिया.