
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के विधायक और राज्य के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री बादल चौधरी की मुसीबत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. त्रिपुरा की एक अदालत ने बादल चौधरी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. अग्रिम जमानत नहीं मिलने के बाद सुरक्षा कर्मी सीपीआई मुख्यालय और एमएलए हॉस्टल में आरोपी विधायक की तलाश कर रहे हैं.
पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री बादल चौधरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की केंद्रीय समिति के सदस्य भी हैं और उन पर 600 करोड़ रुपये के पीडब्ल्यूडी घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए एक अदालत की ओर से अग्रिम जमानत नहीं मिली. घोटाले में कथित भूमिका के लिए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा चुका है.
फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे पूर्व मंत्री
पश्चिम त्रिपुरा के सेशंस जज सब्यसाची पुरकायस्थ ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री चौधरी को राहत नहीं दी जा सकती.
कोर्ट के फैसले के बाद बादल चौधरी के वकील पी रॉय बर्मन ने बताया कि अग्रिम जमानत नहीं देने के खिलाफ वह त्रिपुरा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
कब हुआ पीडब्ल्यूडी घोटाला?
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के काम में वित्तीय अनियमितताओं में कथित भूमिका के लिए राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के पूर्व मुख्य इंजीनियर को गिरफ्तार कर लिया गया था जिसके बाद सोमवार को पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री ने सत्र अदालत से अग्रिम जमानत का अनुरोध किया था.
पश्चिम त्रिपुरा के एसपी अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि पूर्व पीडब्ल्यूडी इंजीनियर-इन-चीफ सुनील भौमिक को हिरासत में ले लिया गया है जबकि पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री और पूर्व मुख्य सचिव यशपाल सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया. इन लोगों पर 2008 से 2009 के बीच विभाग में वित्तीय अनियमितता करते हुए 600 करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप है.