
त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी और सीपीआईएम के बीच विचारधारा का मतभेद बच्चों की पढ़ाई में भी दिखने जा रहा है. ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद सत्ता में आई बीजेपी सरकार अब त्रिपुरा शिक्षा बोर्ड की किताबों को बदलने की तैयारी में है. अब बोर्ड की किताबों के स्थान पर एनसीईआरटी की किताबों को रिप्लेस किया जाएगा.
प्रदेश के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब ने कहा कि उनकी सरकार राज्य की स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई करवाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि स्टेट बोर्ड में एनसीईआरटी की किताबें लाने पर विचार करने के लिए एक कमेटी बैठाने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो क्वांटिटी एजुकेशन के स्थान पर क्वालिटी एजुकेशन देना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने एजुकेशन को लेकर कई मुद्दों पर बात की.
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देब ने ये भी कहा कि पिछली सरकार त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के माध्यम से मार्क्सिस्ट प्रोपेगैंडा फैला रही थी. उन्होंने कहा कि कम्यूनिस्ट चाहते थे कि सिर्फ त्रिपुरा के लिए माओ के बारे में पढ़ें और हिंदू राजाओं को भूल जाएं. उन्होंने सरकारी किताबों से महात्मा गांधी को हटा दिया है और अब एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा, जिसमें त्रिपुरा के इतिहास से जुड़े भी कई पाठ होंगे.
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उन्होंने कहा कि अभी किताबों में रूस-फ्रांस की क्रांति, इंग्लैंड में क्रिकेट का जन्म, हिटलर के बारे में पढ़ाया जाता है. साथ ही छात्रों को कार्ल मार्क्स, हिटलर पढ़ाया जाता है, लेकिन हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है. किताबों में रानी लक्ष्मीबाई, सुभाष चंद्र बोस आदि के बारे में जानकारी नहीं है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि एनसीईआरटी की किताबों में 10 फीसदी स्टेट बोर्ड का पाठ्यक्रम भी होगा.