
श्रीलंका के खिलाफ मौजूदा सीरीज जीतने के बाद ही टीम इंडिया को बड़ा झटका लगा. भारत का यह स्टार लेफ्ट आर्म स्पिनर सीरीज का तीसरा और आखिरी टेस्ट मैच नहीं खेल पाएगा. लेकिन खतरा टला नहीं है, टेस्ट रैंकिग में नंबर-1 गेंदबाज जडेजा पर आगे भी आईसीसी की तलवार लटकी रहेगी.
दरअसल, इस निलंबन के बाद भी जडेजा के खाते में 6 डिमेरिट प्वाइंट (नकारात्मक अंक) अनुशासन रिकॉर्ड में रहेंगे. आगे 24 महीने में यह संख्या 8 या उससे ज्यादा हो जाती है, तो यह चार सस्पेंशन प्वाइंट में तब्दील हो जाएगा. यह चार निलंबन अंक दो टेस्ट या चार वनडे या चार टी-20 इंटरनेशनल मैच पर प्रतिबंध के समान होते हैं. इनमें से जो भी खिलाड़ी पहले खेलेगा उससे उसे निलंबित किया जाता है.
कोलंबो टेस्ट समेत पिछले 24 महीने में जडेजा के खिलाफ डिमेरिट प्वाइंट 6 तक पहुंच गया था. जिसके बाद आईसीसी ने जडेजा के खिलाफ यह एक्शन लिया. आईसीसी ने कार्रवाई के तौर पर मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना के अलावा तीन डिमेरिट प्वाइट उन पर लगाए हैं.
कोलंबो टेस्ट के तीसरे दिन, जब श्रीलंका की टीम दूसरी पारी में फॉलोऑन खेलने उतरी, तो उनकी पारी के 58वें ओवर में रवींद्र जडेजा ने अपने फॉलो थ्रू में गेंद को फील्ड करके क्रीज पर मौजूद श्रीलंकाई बल्लेबाज दिमुथ करुणारत्ने पर अनावश्यक थ्रो कर दिया, जबकि बल्लेबाज ने रन लेने प्रयास भी नहीं किया था.
जडेजा को आईसीसी की धारा 2.2.8 के उल्लंघन का दोषी पाया गया है. इसका साफ मतलब यह है कि अनुचित या खतरनाक तरीके से किसी भी खिलाड़ी, खिलाड़ी के समर्थक, अंपायर या मैच रेफरी की ओर गेंद या कोई अन्य उपकरण जैसे पानी की बोतल आदि फेंकना गलत है.
इससे पहले जडेजा पर आचार संहिता की धारा- 2.2.11 के उल्लंघन के मामले में अक्टूबर 2016 में न्यूजीलैंड के खिलाफ इंदौर टेस्ट के दौरान 50 जुर्माने के साथ तीन डिमेरिट प्वाइट लगाए गए थे. तब जडेजा को दो बार अनौपचारिक और एक आधिकारिक चेतावनी भी दी गई थी. वह चौथी बार पिच में सुरक्षित क्षेत्र में घुसे और उसे नुकसान पहुंचाया.