
इंडोनेशिया में शुक्रवार को आए शक्तिशाली भूकंप के बाद सुलावेसी द्वीप पर स्थित पालू शहर में सुनामी ने भी कहर बरपाया. पालू शहर के समुद्र तट पर 6 फुट ऊंची पानी की लहरें उठती नजर आईं और तटीय इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया. BNO न्यूज एजेंसी ने एक विडियो जारी किया है, जिसमें जबरदस्त लहरें उठती दिख रही हैं और लोग चिल्लाते हुए इधर-उधर भाग रहे हैं.
इससे पहले भूकंप ने भी भारी तबाही मचाई. इसमें कई इमारतें जमींदोज हो गईं और कई लोग घायल हो गए. इसमें सैकड़ों लोगों के मरने की भी खबर है. 7.5 तीव्रता के भूकंप ने लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया. आपदा एजेंसी ने कुछ देर के लिए सुनामी आने की चेतावनी जारी करने के बाद उसे वापस ले लिया था.
भूकंप के केंद्र से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पालू शहर के एक पार्किंग रैंप की सबसे ऊपरी मंजिल से फिल्माए गए एक वीडियो में पानी की लहरें कई इमारतों को अपने लपेटे में लेती हुई दिखीं. आपदा एजेंसी के भूकंप और सुनामी प्रभाग के अध्यक्ष रहमत त्रियोनो ने बाद में पुष्टि की कि शहर में सुनामी की तेज लहरें आई हैं.
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) की रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल सुलावेसी शहर के डोंगगाला के पूर्वोत्तर में एक घंटे के अंदर 2 बड़े भूकंप आए. 7.5 की तीव्रता वाले भूकंप से पहले 56 किलोमीटर दूर एक और भूकंप आया, जिसकी तीव्रता रिचर स्केल पर 6.1 आंकी गई. मध्य सुलावेसी के डोंग्गाला कस्बे में आए भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में था.
आपदा एजेंसी द्वारा जारी की गई तस्वीरों में क्षतिग्रस्त हुई इमारतों को देखा गया. फेसबुक लाइव वीडियो में इलाके के कुछ हिस्सों में लंबा ट्रैफिक जाम देखा गया, क्योंकि डरे हुए निवासी सुनामी की चेतावनी के बाद ऊंची जगहों पर पहुंचने के लिए कारों, ट्रकों और मोटरबाइकों में जा बैठे.
आपदा एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पुर्वो नुगरोहो ने बताया कि बचाव टीम को सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों की ओर भेज दिया गया है. इंडोनेशिया की भौगोलिक स्थिति के कारण भूकंप का खतरा हरदम बना रहता रहता है. इससे पहेल दिसंबर 2004 में पश्चिमी सुमात्रा में 9.1 की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसके कारण पूरे इलाके में सुनामी आ गई. इंडोनेशिया समेत क्षेत्र के दर्जनों देश प्रभावित हुए और करीब 2,30,000 लोग मारे गए थे.