
राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के भीतर घमासान तेज हो चला है. लोकसभा में 45 सीटों पर सिमटी कांग्रेस राज्यसभा में सरकार को दम दिखाती रही है, लेकिन आज मुश्किल ये है कि तमाम राज्यों में हारने के बाद उसके पास राज्यसभा में जाने के लिए नेता ज्यादा हैं और सीटें कम.
चिदंबरम और जयराम रमेश के बीच फंसा पेंच
कर्नाटक से ऑस्कर फर्नान्डीज के नाम को सोनिया गांधी ने दोबारा क्लियर कर दिया लेकिन दूसरी सीट पर चिदंबरम और जयराम रमेश के बीच किसको चुना जाए ये फैसला अब तक लटका हुआ है. चिदंबरम के हक में दलील दी जा रही है कि इशरत जहां और अगस्ता जैसे मामलों में कांग्रेस का पक्ष राज्यसभा में रखने के लिए उनकी जरूरत है.
दूसरी ओर, जयराम की तरफ से कहा जा रहा है कि सुब्रमण्यम स्वामी जैसों से निपटने के लिए उनका होना जरूरी है. साथ ही दलील ये भी है कि कर्नाटक से तमिलनाडु से व्यक्ति को भेजना सियासी तौर पर सही नहीं होगा. कावेरी जैसे मामले काफी संवेदनशील हैं. अब गेंद सोनिया के पाले में है. वैसे कर्नाटक से एक और सीट पर कांग्रेस की निगाह है, लेकिन इस पर 13 वोट कम पड़ रहे हैं जिसको साधने की जिम्मेदारी सीएम सिद्धारमैया को दी गई है. अगर मामला बना तो गांधी परिवार की करीबी मार्गरेट अल्वा की लॉटरी लग सकती है.
यूपी से शर्मा या सिब्बल
यूं तो यूपी से कांग्रेस को एक सीट पाने के लिए भी 6 और विधायकों की दरकार है. इसीलिए मुलायम या मायावती के बच रहे विधायकों पर भी बात टिकी है. विवादास्पद इमरान मसूद जैसे नेता इस सीट पर राहुल की पसंद हैं, लेकिन बखेड़ा न खड़ा हो इसलिए सोनिया अपने करीबी सतीश शर्मा को फिर से राज्यसभा भेजने के मूड में हैं. वहीं मुलायम सिंह से बेहतर रिश्ते रखने वाले कपिल सिब्बल भी रेस में हैं क्योंकि कांग्रेस को उनके वोटों की जरूरत पड़ेगी. वैसे भी नेशनल हेराल्ड का केस भी सिब्बल ही देख रहे हैं और बेहतर वक्ता होने का राज्यसभा में उनको फायदा मिल सकता है.
महाराष्ट्र में उलझे शिंदे
गांधी परिवार के करीबी सुशील कुमार शिंदे भी राज्यसभा जाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. गांधी परिवार उनको चाहता भी है, लेकिन मौजूदा एमपी अविनाश पाण्डेय राहुल गांधी की पसंद हैं, ऐसे में शिंदे की राह मुश्किल हो चली है.
उत्तराखंड में बाहरी का विरोध
बमुश्किल सरकार बचने के बाद अब राज्य के एक राज्यसभा सीट पर खासी मारामारी है. पहले ही बाहरी राजबब्बर को राज्यसभा भेजने के बाद इस बार बाहरी को भेजने का विरोध हो रहा है. विजय बहुगुणा के बागी होने के बाद गढ़वाल से आने वाले ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और दलित नेता प्रदीप टम्टा रेस में हैं. हालांकि, हरीश रावत अपनी पत्नी रेणुका रावत को राज्यसभा भेजना चाहते थे, जो हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़ कर हार चुकी हैं, लेकिन आलाकमान ने उन्हें रेड सिग्नल दिखा दिया है.
मध्य प्रदेश में एक अनार, सौ बीमार
लोकसभा में चुनाव हारे तमाम नेता राज्यसभा की एक सीट पर निगाहें गड़ाए हैं. दरअसल, यहां से लो प्रोफाइल विजयलक्ष्मी साधो का कार्यकाल खत्म हो रहा है. कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी की मदद से वो फिर टिकट की आस में हैं, तो तमाम बड़े नेता भी लाइन में लगे हैं. हालांकि, राहुल की करीबी महिला कांग्रेस अध्यक्ष शोभा ओझा का नाम फिलहाल सबसे ऊपर चल रहा है, जो खुद एमपी से आती हैं.
कुल मिलाकर एक एक राज्यसभा सीट पर जोरदार घमासान है, यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान फैसला आखिरी वक़्त तक नहीं ले पा रहा है. वैसे एक वक़्त था जब राज्यसभा में भेजने के लिए आलाकमान के पास सीटें ज़्यादा और नेता कम होते थे, पर आज बदले वक़्त में गिनी चुनी सीटें और नेताओं की लंबी फेहरिस्त कांग्रेस आलाकमान के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं.