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लखनऊ: मायावती की रैली में मची भगदड़, 3 की मौत, मुआवजे का ऐलान

बसपा के एक प्रवक्ता ने बताया कि बिजली का तार कटने की अफवाह के चलते भगदड़ मची. घायलों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया है.

घायलों को अस्पताल ले जाया गया घायलों को अस्पताल ले जाया गया
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 7:42 AM IST

बसपा सुप्रीमो मायावती की रैली में भगदड़ मचने से तीन महिलाओं की दबकर मौत हो गई, जबकि 22 अन्य घायल हो गए. रैली का आयोजन कांशीराम स्मारक स्थल पर किया गया था. पुलिस ने बताया कि सीढ़ियों पर बने दो द्वारों में से एक से लोग नीचे आ रहे थे और संतुलन बिगड़ने से एक दूसरे के ऊपर गिर पड़े.

बसपा के एक प्रवक्ता ने बताया कि बिजली का तार कटने की अफवाह के चलते भगदड़ मची. घायलों को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया है. पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष राम अचल राजभर ने हालांकि कहा कि महिलाओं की मौत गर्मी और उमस की वजह से हुई. बसपा संस्थापक कांशी राम की दसवीं पुण्यतिथि पर बड़ी संख्या में बसपा कार्यकर्ता और लोग एकत्र हुए थे. वर्ष 2002 में लखनऊ में बसपा की एक रैली के बाद चारबाग रेलवे स्टेशन में पार्टी के कम से कम 12 कार्यकर्ता मारे गए और 22 घायल हो गए थे.

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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये देने की घोषणा की है. मायावती ने भी 5 लाख के मुआवजे की घोषणा की है.

'सर्जिकल स्ट्राइक का डंका पीट रही बीजेपी'
मायावती ने रैली के दौरान सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. मायावती ने कहा कि डंका ऐसे पिट रहे हैं मानो ओसामा जैसी अमेरीकी कार्रवाई की हो. बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि सर्जिकल हमला सही था, लेकिन ये देरी से लिया गया फैसला है, इसलिए लोगो में अंदर-अंदर चर्चा है कि इनका ये फैसला चुनाव को देखते हुए लिया गया है. ये फैसला पठानकोट हमले के बाद लिया जाना चाहिए था. आतंकियों के कैंपों पर हमला एक शुद्ध रूप से सैन्य गतिविधि है और सेना ऐसी कार्रवाई कर अपनी जिम्मेवारी निभाती है. दुनिया में कई जगह ऐसा होता है, लेकिन विदेशों में कोई सरकार ऐसा डंका नहीं पीटती ना ही उसका श्रेय लेने के लिए जमीन आसमान एक करती है, जैसा की मोदी सरकार ऐसा कर रही है.

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'दलितों पर बढ़ा अत्याचार'
उन्होंने कहा कि बीजेपी शासन में सीबीआई का इस्तेमाल अपने विरोधियों के खिलाफ किया जा रहा है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आरएसएस के इशारे पर आरक्षण खत्म करने की साजिश कर रही है. पहले तो मुसलमानों का उत्पीड़न होता था, लेकिन मोदी के राज में अब गोहत्या के नाम पर दलितों का उत्पीड़न हो रहा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में दलितों पर अत्याचार की हद हो गई है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का वादा खोखला निकला, ढाई साल के शासन में मोदी ने एक भी वादा पूरा नहीं किया. उन्होंने अपील की कि मुसलमान अपना वोट न बंटने दें वर्ना फायदा सिर्फ बीजेपी का होगा.

'यूपी में लगे राष्ट्रपति शासन'
मायावती ने पीएम मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मोदी ने बातें की थी 'सबका साथ, सबका विकास', 'अच्छे दिन आएंगे' जो सिर्फ जुमला बनकर रह गया है, ये सब हवा हवाई बातें हैं. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि पीएम मोदी राजीनीतिक स्वार्थ में दशहरा लखनऊ में मना रहे हैं. मायावती ने पीएम पर हमला करते हुए कहा कि अभी शहीदों की चिताओं की आग ठंडी भी नहीं हुई लेकिन ये लोग जश्न मना रहे हैं. मायावती ने 2017 में पूर्ण बहुमत से यूपी में सरकार बनाने का दावा किया साथ ही कहा कि बीजेपी यूपी में तीसरे नंबर की पार्टी होगी या चौथे पर भी जा सकती है. यूपी के हालात राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के काबिल हैं. मायावती ने कहा कि सपा ने बसपा के कार्यक्रमों/योजनाओं का नाम बदलकर चलाया है.

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