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उधमपुर हमले में ऐसे पकड़ा गया पाकिस्तानी आतंकी कासिम...

बंदूक से चल रही गोलियों के बीच दो बंधकों ने गजब का साहस दिखाते हुए खुद को बंधक बनाने वाले एक पाकिस्तानी आतंकवादी को काफी संघर्ष के बाद जिंदा पकड़ लिया. इस संदिग्ध आतंकी की गिरफ्तारी से कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं.

उधमपुर हमले में बेनकाब हुआ पाकिस्तान उधमपुर हमले में बेनकाब हुआ पाकिस्तान
aajtak.in
  • उधमपुर,
  • 05 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST

बंदूक से चल रही गोलियों के बीच दो बंधकों ने गजब का साहस दिखाते हुए खुद को बंधक बनाने वाले एक पाकिस्तानी आतंकवादी को काफी संघर्ष के बाद जिंदा पकड़ लिया. इस संदिग्ध आतंकी की गिरफ्तारी से कई अहम जानकारियां मिल सकती हैं.

पाकिस्तान के फैसलाबाद के गुलाम मुस्तफाबाद इलाके का रहने वाला मोहम्मद नावेद, जिसकी उम्र करीब 20 साल मानी जा रही है, बुधवार को जिंदा पकड़ा गया. उसने एक अन्य आतंकवादी के साथ मिलकर पहले सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक काफिले पर हमला किया और फिर एक स्कूल में पांच लोगों को बंधक बना लिया था. बंधक बनाए गए पांच लोगों में से दो ने उसे जिंदा पकड़ने में गजब के साहस का परिचय दिया.

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बंधक बने लोगों ने ही आतंकी को दबोचा
उधमपुर के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया, ‘उसे उन्हीं लोगों ने पकड़ा, जिन्हें उसने बंधक बना रखा था. कुछ वीडीसी सदस्यों के अलावा बंधक बनाए गए दो लोगों ने अभियान के दौरान उसकी गिरफ्तारी में मदद की.’ उधमपुर में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बीएसएफ के एक काफिले पर हमले में बल के दो जवान मारे गए, जबकि 11 कर्मी जख्मी हो गए. इस हमले में शामिल एक अन्य आतंकवादी को सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में मार गिराया. नावेद ने उसकी पहचान नोमान उर्फ मोमिन के तौर पर की जो पाकिस्तान के भावलपुर का रहने वाला था.

ये रहा पूरा घटनाक्रम...
नस्सू-समरोली इलाके में हमले के बाद नावेद भाग गया और पास ही एक गांव में बनी स्कूल की इमारत में पांच लोगों को बंधक बना लिया. बंधक बनाए गए एक युवक राकेश कुमार ने बताया, ‘गोली की आवाज सुनने के बाद जैसे ही मैं अपने घर से बाहर आया, यह आतंकवादी आया और मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा. वह पहले ही तीन-चार लोगों को अपने साथ ले चुका था.’

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इसके बाद थलसेना और पुलिस ने स्कूल के आसपास के इलाके की घेराबंदी कर ली, ताकि बंधकों को छुड़ाया जा सके. एक अन्य बंधक विक्रमजीत ने कहा, ‘हमें बंदूक के जोर पर स्कूल ले जाया गया. उसने हमसे इलाके से भागने का रास्ता दिखाने को कहा.’ विक्रमजीत ने बताया कि आतंकवादी ने उन्हें धमकी दी कि यदि उन्होंने उसे रास्ता नहीं दिखाया, तो वह उनके परिवार को जान से मार डालेगा. उन्होंने कहा कि उसे कुछ खाने की भी पेशकश की गई.

देशराज, सुभाष शर्मा और जीवन जहां भागने में सफल रहे, वहीं विक्रमजीत और राकेश ने आतंकवादियों से मुकाबला किया और काफी संघर्ष के बाद उसे पकड़ लिया.

विक्रमजीत ने कहा, ‘मैंने उसकी गर्दन पकड़ी और उसने (राकेश ने) उसकी बंदूक पकड़ ल. उसने (आतंकवादी ने) कुछ गोलियां चलाईं, लेकिन हम बाल-बाल बच गए और उसे पकड़ लिया.’

उपायुक्त ने बताया कि किस्मत से एम्स की मांग को लेकर चल रही हड़ताल के कारण स्कूल में कोई छात्र नहीं था. उन्होंने कहा कि आतंकवादी के पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए हैं.

इनपुट: भाषा

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