
साइबर अपराध पर लगाम लगाने की कोशिशों के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर साइबर सुरक्षा और सूचना सुरक्षा को विषय के रूप में पेश करने का निर्णय किया है.
यूजीसी के एक अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली पर गठित कार्यबल की सिफारिशों के आलोक में यह निर्णय किया गया है.’ देश के सभी कुलपतियों को भेजे संदेश में आयोग ने पूर्व कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा के नेतृत्व वाले कार्यबल की सिफारिशों के तहत साइबर सुरक्षा और सूचना सुरक्षा को विषय के रूप में पेश करने की दिशा में पहल करने का निर्देश दिया है.
कार्यबल ने अपनी सिफारिशों में कहा था, ‘यूजीसी और एआईसीटीई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी शिक्षण संस्थाओं में साइबर सुरक्षा और सूचना सुरक्षा को स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर विषय के रूप में पेश किया जाए.’ आयोग ने कुलपतियों से इस विषय को संबद्ध कालेजों के संज्ञान में भी लाने को कहा है.
कार्यबल का गठन सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने किया था और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित वर्तमान प्रक्रिया एवं कामकाज की व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली को चुस्त दुरूस्त बनाने के उपायों के बारे में सुझाव देने को कहा गया था.
एआईसीटीई ने तकनीकी शिक्षण संस्थाओं और साइबर सुरक्षा के बारे में पाठ्यक्रम का विस्तार करने वाली संस्थाओं से साइबर सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, साइबर युद्धकौशल, बायोमेट्रिक्स, साइबर फारेंसिक और सूचना सुरक्षा में से एक कोर्स को पाठ्यक्रम में शामिल करने को कहा गया है.
अधिकारी ने बताया कि स्नातकोत्तर स्तर पर निश्चित तौर पर इस पाठ्यक्रम की मांग होगी. साइबर सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और पूरी दुनिया में इस विषय पर विशेषज्ञों की जरूरत है. ‘हमारे देश में काफी अच्छे आईटी विशेषज्ञ हैं और साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए इन विशेषज्ञों की मदद से प्रतिभाओं का समूह तैयार करने की जरूरत है.’
गौरतलब है कि नैस्काम की रिपोर्ट में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढांचा तैयार करने की सिफारिश की गई है जिसमें सभी पक्षों की जवाबदेही तय करने की बात कही गई है.