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मदरसों में मिड डे मील पर बवाल, हिंदू संगठनों से खाना लेने से इनकार

उज्जैन में मदरसा संचालकों के मिड डे मील न लेने पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं. ग्वालियर ईदगाह कंपू के इमाम ने उज्जैन मदरसा संचालकों के फैसले पर कड़ी आपत्ति उठाई है. उन्होंने कहा कि अगर मदरसा संचालक मिड डे मील लेने से मना कर रहे हैं, तो उन्हें सरकार से मिलने वाले रुपयों को भी नहीं लेना चाहिए.

मिड डे मील न लेने पर उठने लगे हैं सवाल मिड डे मील न लेने पर उठने लगे हैं सवाल
मोनिका शर्मा/रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 06 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 10:35 PM IST

उज्जैन में मदरसा संचालकों के मिड डे मील न लेने पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं. ग्वालियर ईदगाह कंपू के इमाम ने उज्जैन मदरसा संचालकों के फैसले पर कड़ी आपत्ति उठाई है. उन्होंने कहा कि अगर मदरसा संचालक मिड डे मील लेने से मना कर रहे हैं, तो उन्हें सरकार से मिलने वाले रुपयों को भी नहीं लेना चाहिए.

गलत है उज्जैन मदरसा संचालकों का फैसला- इमाम
ग्वालियर में ईदगाह कंपू के इमाम मो. नईम रजा ने उज्जैन मदरसा संचालकों पर तीखा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि सरकार की मिड डे मिल की योजना बहुत अच्छी है. इस में खाना सरकारी स्कूलों और मदरसों में पहुंच रहा है. मीट के अलावा अगर भोजन पहुंच रहा है तो जायज है और इसमें कोई एतराज नहीं है. उन्होंने मिड डे मील के खाने को भगवान को भोग लगाने वाले बयान पर कहा कि किसान जब खेत में अनाज बोता है तो सबसे पहले भगवान को चढ़ाता है फिर उसके बाद अनाज सभी जगह आता है. उसे सभी धर्म के लोग खाते हैं. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं सही बात तो ये है कि उन्होंने भोजन बनते हुए देखा ही नहीं है.

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उज्जैन में पांचवे दिन भी नहीं बंटा मदरसों में मिड-डे मील
उज्जैन के मदरसे आज भी मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दिए जाने वाला मिड डे मील का भोजन नहीं ले रहे हैं. मदरसा शिक्षा समिति उज्जैन के अध्यक्ष का कहना है कि परिजनों के विरोध के कारण ये निर्णय लिया गया है. मदरसा शिक्षा समिति के अध्यक्ष अशफाक खान का कहना है कि बच्चों के अभिभावकों को कई तरह की आपत्तियां हैं, जिसमें खाना भेजने का टाइम और खाने की क्वालिटी शामिल हैं. अशफाक का कहना है कि अगर वो पालकों की बात नहीं मानेंगे तो वो अपने बच्चे को भेजना बंद कर देंगे.

मदरसों में खाना बनाने की मांग
अशफाख के मुताबिक एजेंसियों का खाना क्वालिटी का नहीं होता है. सरकार ने मध्यान भोजन का काम देवास की कंपनी बी.आर.के. फूड और मां पृथ्वी फूड को दिया है. नई कंपनी से भी मदरसा संचालको ने खाना लेने से इनकार कर दिया. उज्जैन में कुल 315 स्कूलों में बी.आर.के. फूड खाना सप्लाई करता है. वही 32 प्राइमरी और 24 मिडिल मदरसे अलग-अलग हैं, जिन्होंने खाना लेने से इनकार किया है. वही मांग की है कि मदरसों से जुड़े बच्चों को मदरसों में ही खाना बना कर खिलाया जाए. प्रभारी कलेक्टर और मदरसे के बीच बैठक हो चुकी है लेकिन इस बैठक का कोई नतीजा दिख नहीं रहा है. मदरसे आपने रुख पर कायम है.

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जल्द सुलझेगा मामला: प्रभारी कलेक्टर
वहीं इस मामले में उज्जैन कलेक्टर अविनाश लवानिया के मुताबिक इसमें धर्म का मामला नहीं है. केवल पूर्व में जो भोजन है वो मदरसों मे अंदर बनाया जाता था. अब क्योंकि सेंट्रलाइज किचन के माध्यम से भोजन बनाया जा रहा हैं, तो सेंट्रलाइज किचन में किस माध्यम से गुणवत्ता कंट्रोल हो और किस माध्यम से भोजन सभी बच्चों को प्राप्त होगा, इसके संबंध में उनसे चर्चा चल रही है. जिसको हम शीघ्र ही क्लोजआउट कर देंगे. लवानिया का मानना है कि ऐसा नही हैं कि खाना लेने से मना कर दिया गया है बल्कि सिर्फ कुछ चिंताएं हैं कि सेंट्रलाइज किचन में किस तरह से भोजन की गुणवत्ता वगैरह पर नजर रखी जाती है. इस मामले में हम उनके साथ बैठकर उनको सारी बातें बताकर इस इश्यू को क्लोज कर देंगे.

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