
ब्रिटेन की संसद ने ब्रेग्जिट विधेयक पारित कर दिया है. इसके साथ ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे के यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है. अब महारानी की स्वीकृति मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. इससे पहले हाउस ऑफ कॉमंस ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स के संशोधनों को 335-287 मतों के अंतर से खारिज कर दिया था.
इनमें सरकार से कहा गया था कि वह ब्रेग्जिट वार्ताओं की शुरूआत के तीन माह के भीतर यूरोपीय संघ के नागरिकों की स्थिति की सुरक्षा करे. उन्होंने ब्रेग्जिट के समझौते पर संसद में मतदान कराने को भी 331-286 मतों के अंतर से खारिज कर दिया. इसका मतलब यह हुआ कि यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने संबंधी विधेयक बिना किसी बदलाव के हाउस ऑफ कॉमंस में पारित हो गया. इसके बाद यह हाउस ऑफ लॉर्ड्स में बिना किसी संशोधन के पारित हो गया। वहां इसके पक्ष में 274 और विरोध में 118 मत पड़े.
इससे ब्रिटेन के ईयू से अलग होने की शर्तों पर संसद के पास वीटो के अधिकार के मुद्दे पर अब इसे कॉमंस में दोबारा चुनौती नहीं दी जा सकती. हाउस ऑफ लॉर्डस पहले ही इस बात पर सहमत हो गया था कि यूरोपीय संघ के नागरिकों के दर्जे के मुद्दे की गारंटी को विधेयक में दोबारा शामिल नहीं किया जाएगा. इन्हें सांसदों ने खारिज कर दिया था.
ऐसी उम्मीद है कि विधेयक को कानून बनाने के लिए अब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से शाही मंजूरी मिल जाएगी. इसके बाद एलिजाबेथ लिस्बन संधि के अनुच्छेद 50 को इस सप्ताह किसी भी समय सैद्धांतिक तौर पर शुरू कर सकती हैं. हालांकि इस बात के संकेत कम हैं कि वह इस माह के अंत तक बातचीत शुरू कर पाएं. विपक्षी लेबर पार्टी ने पहले मे से अपील की थी कि वह ‘वाकई अहम’ लॉर्डस संशोधनों को बरकरार रखने पर विचार करे.