
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता उमा भारती ने कहा कि रामजन्मभूमि पूजन कार्यक्रम से उन्होंने जानबूझकर अपना नाम पीछे लिया है. कोरोना का संकट है. 'आजतक' धर्म संसद में सियासत का ‘अयोध्या कांड’ सेशन में उमा भारती ने कहा, 'हमारा सपना पूरा हो रहा है, हम खुश हैं. कोरोना के कारण मैंने अपना नाम पीछे कर लिया. मैं चाहती हूं कि मंदिर परिसर में कम से कम लोग हों. विपक्ष को हमें कोई जवाब नहीं देना है. हम सब मोदी में समा गए हैं.'
उमा भारती ने कहा कि भूमि पूजन को लेकर हम सब बहुत प्रसन्न हैं. हम सब मोदी जी में समा गए हैं. मोदी का वहां होना हम सब का वहां होना है. हम अपने आप को मोदी से अलग नहीं समझते हैं.
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मुहूर्त पर सवाल उठाए जाने पर उमा भारती ने कहा कि जिनके मन में मुहूर्त को लेकर सवाल है, उनको क्या परेशानी है. उनको लग रहा है कि कोई विघ्न आ जाएगा. तो बाद में यहां आकर पूजा पाठ कर जाएं. हनुमान जी का पाठ कर जाएं. जो लोग इसमें लगे हुए हैं. अयोध्या वैष्णव संप्रदाय का गढ़ है और नृत्यगोपाल दास जैसा संत साथ में जुड़ा हुआ है. हमें तो पता नहीं. मैं मुहूर्त की विशेषज्ञ नहीं हूं. उन्होंने सोच समझकर ही मुहूर्त को लेकर फैसले लिए होंगे. हम उनके ज्ञान पर सवाल नहीं उठा सकते हैं.
अयोध्या आंदोलन के बड़े चेहरों के भूमि पूजन में न आने के सवाल पर उमा भारती ने कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है. किसी को कोई दिक्कत नहीं है. सबके चेहरे पर खुशी चमक रही है कि एक भव्य राम मंदिर के निर्माण का प्रारंभ हो रहा है. हम सब मोदी में समा गए हैं.
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उमा भारती ने कहा कि राम मंदिर किसी की बपौती नहीं है. हमारी प्रॉपर्टी नहीं है. हमारा पेटेंट नहीं है. दुनिया का कोई भी राम भक्त, किसी भी धर्म का व्यक्ति, किसी भी राजनीतिक विचारधारा का व्यक्ति अगर वह राम मंदिर निर्माण की शुरुआत में दीया जलाना चाहता है तो उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. उसकी खिल्ली नहीं उड़ानी चाहिए. उसका अपमान नहीं करना चाहिए. मैं भाजपा के कार्यकर्ताओं से अनुरोध करती हूं कि कभी भी राम मंदिर आंदोलन को अपनी बपौती मत मान बैठना. राम अनादि से अनंत हैं.
उमा भारती ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़ने की कहानी भी साझा की. उन्होंने बताया, 'मुझे रामचंद्र परमहंस जी ने प्रवचन के लिए अयोध्या बुलाया था. तब मैं आठ साल की थी. गीता, वेद और उपनिषद और रामायण पर प्रवचन करती थी. वही मुझे वहां ले गए. मैंने देखा वहां ताला लगा हुआ था. मुझे यह बहुत अन्याय लगा. छोटा बालक का मन था. बाबरी एक्शन कमेटी बनी तो उसका प्रतिकार करना पड़ा. बाद में मैं इस अभियान के साथ जोरशोर से जुड़ गई.'
उमा भारती ने कहा, 'जब 30 अक्टूबर 1990 की कार सेवा हुई तो सबसे पहले वासुदेव अग्रवाल ने केसरिया फहराया लेकिन मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने गोली चलाई जिससे मैं बहुत व्याकुल हुई. अशोक सिंघल घायल भी हो गए थे. उस समय मैं बांदा की जेल से फरार होकर चली आई. कमाल की बात ये थी कि बांदा से जब मैं फरार हुई तो मैंने बाल मुंडवा लिए और मुझे यहां कोई पहचान नहीं पाया. यहां पहुंचकर कार सेना का नेतृत्व किया. उस समय राम और शरद दूसरी दिशा से आ गए. उसी दिन भिड़ंत में प्रोफेसर अरोड़, राम और शरद कोठारी शहीद हो गए. उसके बाद मेरी गिरफ्तारी हुई. मुझे फैजाबाद की जेल में रखा गया. बाद में आंदोलन आगे बढ़ा और छह दिसंबर को मस्जिद गिरा दी गई.