Advertisement

'नमामि गंगे' के लिए 2 साल तक हर हफ्ते पदयात्रा करेंगी उमा भारती

जल संसाधन और गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती दो साल तक हर सप्ताह दो या तीन दिन गोमुख से गंगासागर के बीच गंगा किनारे पदयात्रा करेंगी.

जल संसाधन मंत्री उमा भारती जल संसाधन मंत्री उमा भारती
संजय शर्मा/रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 4:45 AM IST

भारतीय संस्कृति के अनादि काल से अनंतकाल तक के प्रवाह की साक्षी गंगा को फिर से अविरल निर्मल और सतत प्रवाह के कार्यक्रम नमामि गंगे का अगला चरण अब उमा भारती की गंगा किनारे पदयात्रा के रूप में होगा. एक तरफ सरकार, एनजीओ और जनता मिलकर गंगा सफाई और गंगा के कायाकल्प का काम करेंगे तो दूसरी ओर जल संसाधन और गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती दो साल तक हर सप्ताह दो या तीन दिन गोमुख से गंगासागर के बीच गंगा किनारे पदयात्रा करेंगी.

Advertisement

भारती का कहना है कि इस तरह कदम दर कदम नापते हुए वो गंगा और गंगापुत्रों की मुश्किलें आसानी से समझ पाएंगी. तब स्थायी उपाय करना ज्यादा संभव होगा. ताकि 2018 में गंगा को फिर से स्वच्छ, निर्मल और अविरल करने का लक्ष्य पा सकें. संकल्प साकार हो सके. यानी इसके लिए एक्ट भी बनेगा तो वो जनता की इच्छा के मुताबिक. खासकर गंगा किनारे रहने वाले लोगों की इच्छा के मुताबिक क्योंकि वो गंगा को सबसे ज्यादा सबसे बेहतर समझते हैं और संवेदनशील भी हैं.

उमा भारती ने कहा कि वो और उनका मंत्रालय गंगा यमुना और अन्य नदियों पर पावर प्रोजेक्ट बनाने के खिलाफ कतई नहीं है. हां, डिजाइन को लेकर हमारा आग्रह है. डैम और बराज का डिजाइन ऐसा हो जिससे नदी की अविरलता और निर्मलता पर कोई असर ना पड़े. ना ही जैव विविधता को कोई खतरा हो. मैदानी इलाकों में नदियों का प्रबंधन बेहतर होना चाहिए. जैसे नदियों के किनारे नद्य ताल बनाने की पुरानी परंपरा भारत में रही है. ताकि अपशिष्ट सीधे नदी में ना जाने पाए. गंगा के तटवर्ती गांवों में जैविक खेती हो, जानवरों के प्रजनन और नस्ल सुधार के संस्थान बनाये जाने चाहिये. पौधे लगाने यानी वनीकरण भी जरूरी है. क्योंकि इसके बगैर गंगा तो क्या किसी भी नदी का प्राकृतिक प्रवाह और स्वरूप लौटाया नहीं जा सकता.

Advertisement

सबसे बड़ी क्रांति तो ये आने वाली है कि नालों और सीवर का पानी ट्रीट कर अब सरकार पीएसयू संस्थानों को बेचेगी. इसके लिए नरोरा में एनटीपीसी, बनारस में रेलवे कारखाना, मथुरा में इंडियन ऑयल रिफाइनरी जैसे बड़े संस्थानों से एमओयू तैयार किये जाएंगे. जल्दी ही निजी औद्योगिक घरानों से भी बात होगी कि वो ट्रीटेड पानी खरीदें और उसका इस्तेमाल अपने कारखानों में करें. इससे नदी का जीवन बचेगा साथ ही पानी का फिर फिर इस्तेमाल भी होगा.

अगले महीने होगा 1650 पंचायतों का सम्मेलन
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सरकार को जितना पैसा खर्च करना था वो तो कर चुकी. अब परियोजनाओं में जब तक गैर सरकारी संगठनों, यानी एनजीओ और आम जनता की भागीदारी नहीं होगी तब तक लक्ष्य की प्राप्ति स्थायी नहीं होगी. जनता की रुख जानना जरूरी है. ताकि ये पता तो चले कि गंगा से छेड़छाड़ कैसे बंद हो. सजा कितनी और क्या हो. लिहाजा पांच राज्यों में गंगा किनारे बसे 6000 गांवों की 1650 पंचायतों के सरपंचों का सम्मेलन अगले महीने इलाहाबाद में होगा. इसमें गंगा और अन्य नदियों की सफाई सुनिश्चित करने वाले एक्ट की रूपरेखा पर भी चर्चा होगी. ताकि परियोजना का स्वरूप और एक्शन प्लान जनता और पंचायतें तय करें ना की अफसर. इसी सिलसिले में 26 अगस्त को वाराणसी में गंगा के दोनों किनारे बसे गांवों में चार जगह गंगा पंचायत होगी. गंगा किनारे बसे शहरों में दस गंगा स्मार्ट सिटी भी तय की जाएंगी ताकि स्वस्थ प्रतियोगिता हो और इसी बहाने जनता में जागरुकता और शहरों में स्मार्ट बनने की होड़ तो हो.

Advertisement

इसी बीच नीरी भी अपनी रिपोर्ट देने वाला है जिसमें ये अध्ययन किया गया है कि गोमुख से गंगासागर तक गंगाजल की क्वालिटी में कब कब कहां कहां और कैसा कैसा बदलाव आ रहा है. और इसकी वजह क्या है. इससे समस्याओं के मुताबिक ही समाधान करने में भी आसानी होगी. चूंकि समस्याएं हर जगह अलग अलग किस्म की हैं. कहीं औद्योगिक हैं. कहीं शहर का कचरा है. कहीं जमीन में ही आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है तो कहीं रसायनों की भरमार है. इसके लिए शहर विकास मंत्रालय. ग्रामीण विकास मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय और रसायन मंत्रालय के साथ वन और पर्यावरण मंत्रालय सहित आठ मंत्रालयों की नीतियों और अधिकारियों के बीच भी तालमेल जरूरी है. ऐसे में गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है.

सीएम ऑफिसों में लगाए जा रहे हैं रियल टाइम मॉनिटर
अब गंगा किनारे वनीकरण की बात हो तो आम जनता अपने पूर्वजों की याद में यादगार दिनों और तिथियों पर अपनी नामपट्टिका के साथ पौधे लगाएं और उनकी देखभाल करें. कंपनियां और औद्योगिक घराने अपनी नामपट्टियों के साथ गंगा और अन्य नदियों के किनारों का सौंदर्यीकरण करें साथ ही स्थायी देखभाल भी. सरकार उनको सुविधा देगी लेकिन खर्च और रखरखाव एनजीओ, औद्योगिक घराने या आम जनता खुद करे. फिलहाल तो पांचों राज्यों के मुख्य मंत्रियों और मुख्य सचिवों के दफ्तर में रियल टाइम मॉनि‍टर लगाए जा रहे हैं जिसमें गंगा और प्रमुख नदियों में प्रदूषण के आंकड़े आते रहेंगे.

Advertisement

2200 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट मंजूर
गंगा पुनरुद्धार कार्यक्रमों में अब रही बात खर्च और आमदनी की. तो इसके लिए उमा भारती ने कहा कि सीएजी हमारी योजनाओं का लगातार ऑडिट करे. जब चाहे सीएजी हमसे कोई भी डिटेल मांग सकता है. हम खुशी खुशी मुहैया कराएंगे. क्योंकि सरकार ने गंगा में जैव विविधता बरकरार रखने के लिए 2200 करोड़ रुपये की योजना मंजूर की है. कानपुर के सीसामऊ नाले को सुधारने के लिए 63 करोड़, नेटवर्किंग के लिए 397 करोड़, बिठूर में गंगा तट सौंदर्यीकरण के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यानी गंगा पुनर्जीवन के लिए चल रहे 99 प्रोजेक्ट्स सहित कुल 20 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही हैं. लिहाजा निगरानी तो जरूरी है. उमा भारती ने बताया कि इन योजनाओं पर अमल के लिए योगदान करने की इच्छा जताने वालों में श्री श्री रविशंकर, स्वामी रामदेव, काशी में ज्ञानवापी के इमाम, पटना साहिब के जत्थेदार, कई रिटायर्ड अफसर, छुट्टी में स्कूल कालेजों के छात्र योगदान करने को उत्सुक हैं.

ट्रीटेड वाटर के प्रबंधन को लेकरर एमओयू साइन होंगे
सरकारी काम भी आगे बढ़ रहे हैं. 17 अगस्त को मथुरा, 19 अगस्त को कानपुर, 20 अगस्त को वाराणसी और इलाहाबाद में ट्रीटेड वाटर के प्रबंधन को लेकर एमओयू पर दस्तखत होंगे. यानी पिछले दो सालों से इन कार्यक्रमों की घोषणा हो रही है. अब वो सतह पर आ रहे हैं. लक्ष्य 2018 है. क्योंकि 2019 में आम चुनाव भी तो हैं. अब पहले गंगा साफ होती है या नीति, नीयत या फिर निर्णय. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी तो स्वतंत्रता दिवस की भोर में लाल किले से यही दावा किया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement