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उना दलित पिटाई: हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाएगा पीड़ित परिवार

गुजरात में उना की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया था. 11 जुलाई 2016 को गुजरात के उना में कुछ दलित युवकों को मृत गाय की चमड़ी निकालने की वजह से गौ रक्षक समिति का सदस्य बताने वाले लोगों ने सड़क पर बुरी तरह पीटा था.

उना में हुई थी दल‍ित युवकों की प‍िटाई उना में हुई थी दल‍ित युवकों की प‍िटाई
रणविजय सिंह/गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 10 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

कुछ समय पहले गुजरात का उना शहर दलितों पर हुए अत्याचार को लेकर सुर्ख़ियों में आया था. इस घटना की चर्चा देश भर में हुई थी. अब एक बार फिर उना की चर्चा हो रही है. दरअसल, गौरक्षकों की पिटाई का शिकार हुए दलित युवकों ने अपने परिवार के साथ हिन्दू धर्म छोड़ने का फैसला किया है. ये सभी युवक बौद्ध धर्म अपनाने की बात कह रहे हैं.

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हमारे साथ हो रहा जातिगत भेदभाव: पीड़‍ित

उना में पिटाई के शिकार चार दलित युवक में से एक वशराम सरवैया ने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने हिंदू धर्म छोड़ने का फैसला किया है. इसकी वजह उनके साथ लगातार हो रहा जातिगत भेदभाव है. इस वजह से वो सम्मानपूर्वक जीवन नहीं जी पा रहे.

मरे हुए जानवरों का चमड़ा निकालने का काम करने वाले इन दलित युवकों की पिटाई ये कह कर की गई थी कि ये सब गौहत्या करते हैं. पीड़ि‍त वशराम का कहना है कि मृत जानवरों की खाल उतारने का मेरे पैतृक पेशे पर शर्म और भय थोपा जा रहा है. इस वजह से हम हिंदू धर्म को छोड़ने पर मजबूर हैं. हालांकि, ये लोग बौद्ध धर्म कब स्वीकारेंगे उसके बारे में किसी तारीख का ऐलान नहीं किया है.  

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पीएम मोदी ने कहा था- मुझे गुस्सा आता है

वहीं, इस घटना के बाद से ही केंद्र सरकार बीजेपी की किरकिरी हो रही थी. इसके बाद पीएम मोदी ने उना कांड का जिक्र न करते हुए फर्जी गौरक्षों को लेकर एक बयान दिया था. मोदी ने कहा था, ''मुझे इस बात पर गुस्सा आता है कि लोग गाय की रक्षा के नाम पर दुकान चला रहे हैं. उनमें से अधिकतर असामाजिक तत्व हैं जो गाय रक्षा के नाम पर चेहरा छिपाते हैं. मैं राज्य सरकारों से कहूंगा कि ऐसे लोगों पर दस्तावेज तैयार करें क्योंकि उनमें से 80 फीसदी असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएंगे जिसे कोई भी समाज मान्यता नहीं देगा.''

क्या है उना दलित पिटाई मामला?   

गुजरात में उना की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया था. 11 जुलाई 2016 को गुजरात के उना में कुछ दलित युवकों को मृत गाय की चमड़ी निकालने की वजह से गौ रक्षक समिति का सदस्य बताने वाले लोगों ने सड़क पर बुरी तरह पीटा था. दलितों की पिटाई का वीडियो भी जारी किया था.

उना की घटना के बाद प्रदेश के दलित समाज के युवा सड़क पर उतरे और मरी हुई गायों को उठाने से मना कर दिया था. ऊना की घटना को लेकर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आंदोलन किया और उन्हें दलितों के साथ मुस्लिमों का भी सहयोग मिला. इस घटना की आवाज संसद में गूंजी तो मोदी सरकार बैकफुट में नजर आई. गुजरात चुनाव में जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया. चुनाव लड़ा और जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं.

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ये हैं दलि‍त उत्पीड़न के बड़े मामले

1. पुणे में दलित-मराठा संघर्ष, पूरे महाराष्ट्र में असर

महाराष्ट्र के पुणे में भीमा-कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर 1 जनवरी को कुछ दलित समूहों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर हिंदुवादी संगठनों द्वारा हिंसक हमले किए गए. कार्यक्रम में आए दलितों की गाड़ियां जला दी गईं और उन्हें मारापीटा गया. इस हमले में एक की मौत हो गई. हिंसा से गुस्साए दलित समूहों ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया और मुंबई को पूरी तरह से ठप्प कर दिया. इसके बाद महाराष्ट्र जातीय हिंसा की आग के शोलों में झुलस गया.

2. सहारनपुर में राजपूत-दलित संघर्ष

उत्तर प्रदेश की सत्ता पर योगी आदित्यनाथ के विराजमान होने के एक महीने बाद ही सहारनपुर के शब्बीरपुर में राजपूत-दलितों के बीच खूनी संघर्ष हुआ. पहले 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती के दौरान सहारनपुर के सड़क दुधली गांव में शोभायात्रा निकालने के दौरान दो गुटों में संघर्ष हुआ. इसके बाद 5 मई को महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर शब्बीरपुर के पास गांव सिमराना में महारणा प्रताप की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन था. सिमराना गांव जाने के लिए शब्बीरपुर गांव के ठाकुरों ने महाराणा प्रताप शोभायात्रा और जुलूस निकाला. दलित समाज के लोगों ने विरोध किया और जुलूस निकलने नहीं दिया. यहीं से बात बिगड़ी और शब्बीरपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुई तनातनी ने उग्र रूप धारण कर लिया. इस मामले में करीब 17 लोग गिरफ्तार हुए. दलित नेता चंद्रशेखर रावण मुख्य आरोपी के तौर पर अभी भी जेल में हैं.

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3. रोहित वेमुला की आत्महत्या

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी. हैदराबाद विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने नवंबर 2015 में पांच छात्रों को हॉस्टल से निलंबित कर दिया था, जिनके बारे में कहा गया था कि ये सभी दलित समुदाय से थे. कहा गया था कि कॉलेज प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई की वजह से रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद देश भर में दलित सुमदाय के लोगों ने और छात्रों ने रोहित की आत्महत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया.

4. हरियाणा में दलितों के घर में लगाई आग

हरियाणा दलित उत्पीड़न के मामले में काफी आगे है. फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में एक दलित परिवार को जिंदा जला दिया गया. इस घटना में दो बच्चों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. बता दें कि सुनपेड़ गांव में करीब 20 फीसदी आबादी दलितों की है और 60 फीसदी सवर्ण हैं. कहा जाता है कि सवर्ण परिवार के लड़के दलित परिवार को परेशान कर रहे थे.

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