
दिल्ली के सबसे बड़े जनता जीवन कैंप तिगड़ी में तंग और उलझी गलियों के बीच से निकलते हुए मालिनी अपनी ड्राइविंग क्लास के लिए जाती है.
मालिनी का कहना है कि किसी का कूड़ा इकट्ठा करके सिर पर उठाकर लेकर जाना दुनिया का सबसे खराब काम है. मैंने अपनी मां को ये काम सिर पर चुन्नी बांधकर करते देखा है. लेकिन मैंने हमारे जीवन में बदलाव लाने की ठानी है. मैं अपने लिए बेहतर जिदगी चुनना चाहती हैं. हालांकि मेरी मां को ये मौका नहीं मिला.
नरेन्द्र मोदी सरकार की बरसों पुराने परंपरागत जातिगत भेदभाव और गरीबी को मिटाने की पहल से देश की राजधानी दिल्ली में बदलाव की हवा बहनी शुरू हुई है. दिल्ली में सड़के, टॉयलेट और सीवर साफ करने वाले कर्मचारियों की 250 लड़कियां 'चुस्त और आधुनिक' कैब ड्राइवर बनने और हजारों रुपया कमाने के इरादे से सड़कों पर उतरी हैं.
इतना ही नहीं स्लम में रहने वाली इन लड़कियों को पास के पार्क में अंग्रेजी बोलने और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग भी दी जाती है. उनमें से कई लड़कियां खुद भी सफाई कर्मचारी हैं. ये लड़कियां उबर और ओला जैसी कंपनी में काम करने के लिए कमर्शियल ड्राइविंग सीख रही है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इससे मिलती जुलती योजनाएं भी बनाई हैं. जिसके तहत दिल्ली के अन्य इलाकों में 900 लड़कियों को इसी तरह की ट्रैनिंग दी जाने की बात कही गई है. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत का कहना है कि वह इस योजना को चंडीगढ़, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में भी लागू करेंगे.