
स्टैंडर्ड डिडक्शन पुर्नजीवित हो गया है, कुछ टैक्स बचाने के लिए... लेकिन यह मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउंस की कीमत पर हुआ है. इसके साथ ही सरकार ने आय पर सेस को 3 फीसदी से बढ़ा 4 फीसदी कर दिया है. फिर इन सब तीनों बदलावों का कुल कितना असर होगा?
इन बदलावों का आप पर कितना असर होगा ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी आय कितनी है. अगर आपको सैलरी नहीं मिलती हैं, मान लीजिए आप पेंशनधारी हैं, तो मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउंस में बदलावों का आप पर कोई असर नहीं होगा. आपको सीधे कर योग्य आय पर 40 हजार रुपये का लाभ मिलेगा.
हालांकि इसका लाभ उस व्यक्ति को मिलेगा, जिसकी सालाना आय 10 लाख रुपये से ऊपर है. टैक्स और सेस को मिलाकर एक व्यक्ति को अब 1 लाख 15 हजार आठ सौ पचहत्तर रुपये टैक्स देना होगा, नए प्रावधानों के मुताबिक 10 लाख से ऊपर की सालाना आय वाली महिला को अब 1 लाख 8 हजार 680 रुपये बतौर टैक्स देना होगा. हालांकि जैसे-जैसे आपकी आय बढ़ेगी, डिडक्शन का लाभ कम होता जाएगा और ऊंची दर वाले सेस का बोझ बढ़ता जाएगा. लेकिन अगर आपकी सालाना आय 47 लाख 85 हजार के ऊपर है, तो आप पर टैक्स की मार और पड़ेगी.
इस छूट का फायदा 2.9 लाख की सालाना गैर तनख्वाह आय वाले लोगों को ज्यादा मिलेगा. ऐसे में 2.9 लाख की सालाना गैर तनख्वाह आय वालों को 5 फीसदी आयकर देना होगा, जो सेस मिलाने के बाद 2,060 रुपये के करीब होता है. स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर मिलने वाली छूट के बाद आपको टैक्स देनदारी में काफी राहत मिली है.
दूसरी ओर सैलरी वालों के लिए चीजें काफी मुश्किल हो गई हैं. जहां, उन्हें 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का सीधा फायदा मिल रहा है, तो उन्हें मेडिकल अलाउंस (15,000) और ट्रांसपोर्ट अलाउंस (19,200) पर टैक्स का भुगतान करना होगा. ऐसे में टैक्स योग्य आय पर उनका कुल लाभ 5,800 रुपये का हुआ, जोकि टैक्स योग्य आय पर 1,740 रुपये की कुल बचत के रूप में बदल जाता है.
कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो सम्मानजनक सैलरी पर मिल रहा लाभ गौण ही है. अगर आपकी आय 5 लाख रुपया सालाना है, तो केवल 194 का फायदा आपको होता है, लेकिन 12 लाख 62 हजार 400 की सालाना आय (प्रति महीने 1 लाख से ज्यादा आय) पर कोई फायदा नहीं है. और भविष्य में भी ये बढ़ता ही जाएगा.
हालांकि वरिष्ठ नागरिकों को कुछ लाभ मिला है. उदाहरण के लिए टैक्स फ्री डिपॉजिट्स की लिमिट बढ़ा दी गई है, जिस पर ब्याज की दर 8 प्रतिशत है. अब यह 7.5 लाख से 15 लाख हो गई है. इसका तात्पर्य ये है कि ब्याज से होने वाली सालाना आय में अब आप 60,000 रुपये ज्यादा जोड़ पाएंगे. जो लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए इंश्योरेंस लेना चाहते हैं, उनके लिए भी जश्न का मौका है. सरकार अब 50,000 तक के प्रीमियम पर आपको रिबेट का लाभ देगी. पहले यह सीमा 30,000 रुपये थी. यानी अब आप सालाना 6000 रुपये बचा सकेंगे.
अगर आप सीधे तौर पर इक्विटी में या म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ेगा. मान लीजिए आपने एक साल पहले खरीदे हुए शेयर को बेचकर 2 लाख रुपये का लाभ कमाया. ऐसे में अब आपको 1 लाख से ऊपर की राशि पर 10 प्रतिशत सरकार को देना होगा. यानि 1 लाख की राशि पर 10 हजार आपको सरकार को देना होगा. अब आप जितना ज्यादा मुनाफा कमाएंगे, सरकार को उतना ज्यादा देना होगा. सरकार ने एक छोटी सी दया ये की है कि अगर आपने 31 जनवरी 2018 तक कुछ लाभ कमाया है, तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.
इक्विटी वाले म्युचुअल फंड्स को भी अब 10 प्रतिशत टैक्स सरकार को देना होगा, उस आय पर जो वे आपको देते हैं. यानि एक और झटका. लेकिन इनडायरेक्ट टैक्स का क्या? क्या उससे आपके खर्चे घटेंगे. दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि नहीं, ऐसा नहीं होगा. सरकार ने कस्टम ड्यूटी पर 10 प्रतिशत सरचार्ज लगा दिया है, मतलब आयातित सामान अब ज्यादा महंगे होंगे.
ऐसे में ऐपल फोन की कीमत 5000 रुपये तक बढ़ सकती है, तो 9.3 लाख रुपये की हुंडई क्रेटा की कीमतों में 70,000 रुपये का उछाल आ सकता है, जबकि ऑडी आर8 10 लाख रुपये तक महंगी हो सकती है.