
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करीब डेढ़ महीने पहले जब प्री-बजट मीटिंगों का दौर शुरू किया. इस दौरान इंडस्ट्रीज, मंत्रालयों और इंडस्ट्रियल एसोसिएशनों ने सरकार को कई अहम सुझाव व अपेक्षाएं बताईं.
इस साल के बजट के संदर्भ में इंडस्ट्री से लेकर न्यूज चैनलों के स्टूडियो रूम तक सबसे ज्यादा बात 10 चीजों को लेकर हुई. अब यह देखना होगा कि राजकोषीय घाटा समेत इन अन्य चीजों पर जितनी ज्यादा चर्चा हुई है, क्या बजट में भी इन्हें दूसरों से ज्यादा तवज्जो मिलेगी.
इनको लेकर हुई सबसे ज्यादा चर्चा
- कृषि-किसान की हालत सुधारने पर रहा सबका जोर
- राजकोषीय घाटा को नियंत्रण करने के साथ लोकलुभावन बजट की उम्मीद
- आयकर छूट की सीमा को 2.5 लाख से 3 लाख किए जाने की उठी सबसे ज्यादा मांग
- कारोबारियों ने दिलाया मोदी सरकार को चुनावी वादा याद. कहा, घटे कॉरपोरेट टैक्स
- रोजगार की कमी को खत्म करने के लिए देश की पहली रोजगार नीति लाने की घोषणा को लेकर हुई चर्चा
- मोदी सरकार के सामने खड़ी अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को लेकर भी बात होती रही.
- कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बहाने पेट्रोल और डीजल पर राहत की उम्मीद भी बजट से सबसे ज्यादा जताई गई.
- मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए कस्टम ड्यूटी बढ़ाए जाने की भी चर्चा गरम रही.
- जीएसटी में सुधार और इसे कारोबारियों के लिए सुगम बनाने की भी मांग उठी.
- मेडिकल अलाउंस और एजुकेशन लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट की भी चर्चा प्री-बजट मीटिंग में रही.
प्री-बजट मीटिंग से लेकर मीडिया के गलियारों में ऊपर दिए गए जिन 10 मुद्दों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हुई, क्या बजट में भी उन्हें इतनी ही तवज्जो मिलती है. ये थेाड़ी देर में ही पता चल जाएगा. जल्द ही वित्त मंत्री अरुण जेटली तस्वीर साफ कर देंगे.