
मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्णकालिक बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुरुआत में ही साफ कर दिया कि बजट में ग्रामीण भारत का खास ध्यान रखा गया है. वित्तमंत्री ने ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था, खेती और जीविका को लेकर बड़ी घोषणाएं की हैं. इनमें घर से लेकर पानी और रोजगार केंद्रित योजनाओं का ऐलान किया गया है.
पढ़िए क्या है ग्रामीण भारत के लिए बजट में
1 करोड़ आवास के निर्माण का लक्ष्य
- वित्तमंत्री ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 1 करोड़ आवास का निर्माण किया जाएगा.
कृषि के लिए 11 लाख करोड़
- वित्तमंत्री ने वित्त वर्ष 2018-19 में कृषि के लिए सांस्थानिक क्रेडिट को बढ़ाकर 11 लाख करोड़ करने का प्रस्ताव रखा.
- इसके साथ ही वित्तमंत्री ने ग्रामीण जीविका के लिए 14.34 लाख करोड़ का प्रस्ताव किया है, इसके जरिए 321 करोड़ व्यक्ति दिन (पर्सन डे) का रोजगार सृजन किया जाएगा.
भूमिगत जल के लिए 2600 करोड़ का प्रस्ताव
- जेटली ने बजट में भूमिगत जल के लिए 2600 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है. वित्तमंत्री ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में जीविका के साधन उपलब्ध कराने पर सरकार का फोकस है.
- उन्होंने कहा कि ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर 14.34 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. साथ ग्रामीण कृषि के उत्थान के लिए 2000 करोड़ का फंड जुटाया जाएगा.
बढ़ा उज्जवला योजना का लक्ष्य
- वित्तमंत्री ने उज्जवला योजना का लक्ष्य बढ़ाने की घोषणा की है. इसके तहत 8 करोड़ गरीब परिवारों को फ्री कनेक्शन दिए जाएंगे. ध्यान रहे कि यूपी जैसे राज्यों में चुनावों के दौरान उज्जवला योजना से बीजेपी को काफी फायदा हुआ.
ग्रामीण हाट होंगे विकसित
- बजट में ग्रामीण हाट को विकसित करने का प्रस्ताव वित्तमंत्री ने रखा है. इसके लिए मनरेगा के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए जाएंगे. ग्रामीण एग्रीकल्चर मार्केट (GRAM) बनाए जाएंगे. इससे किसानों को अपनी फसल बेचने में मदद मिलेगी.
- हार्टिकल्चर और कृषि फसलों के लिए क्लस्टर मॉडल अपनाया जाएगा. मछली पालन और पशुपालन से जुड़े लोगों को किसान क्रेडिट दिए जाएंगे.
- नेशनल बम्बू मिशन के लिए 1290 करोड़ का प्रावधान.
- पराली जलाने की समस्या से निपटने खातिर फसलों के अवशेष को हटाने के लिए सब्सिडी की व्यवस्था का प्रावधान.
- सरकार का जोर कम लागत वाली खेती और उच्चतम एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का है.