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DDT: कॉरपोरेट पर मोदी सरकार मेहरबान, खजाने को होगा 25 हजार करोड़ का नुकसान

आम बजट में कंपनियों को राहत देने और इक्विटी बाजारों को बढ़ावा देने के लिए डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (डीडीटी) को हटाने की घोषणा की गई है.

सरकार का राजस्व 25,000 करोड़ रुपये तक कम होगा सरकार का राजस्व 25,000 करोड़ रुपये तक कम होगा
दीपक कुमार
  • नई दिल्‍ली,
  • 02 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

  • डिविडेंड पर 15% की दर से डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स लगता है
  • डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स पर सेस और सरचार्ज भी लागू होगा है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को देश का आम बजट (Budget 2020) पेश किया. इस बजट में कॉरपोरेट सेक्‍टर के लिए कई खास ऐलान किए गए हैं. इसी के तहत डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स/लाभांश वितरण कर  (डीडीटी) को भी हटा दिया गया है. डीडीटी के हटाए जाने से सरकार का राजस्व 25,000 करोड़ रुपये तक कम होने वाला है. ऐसे में सवाल है कि आखिर डीडीटी क्‍या है और इससे सरकार को कैसे नुकसान होगा. आइए विस्‍तार से समझते हैं..

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क्‍या होता है डीडीटी?

दरअसल, डिविडेंड वह रकम है, जो कंपनी मुनाफा होने पर अपने शेयर धारकों को देती है. वर्तमान में कंपनी की तरफ से शेयर धारकों को मिलने वाले डिविडेंड (मुनाफा) पर 15 फीसदी की दर से डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स लगता है. इसके अलावा इस टैक्‍स पर सेस और सरचार्ज भी लागू होगा है.

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घरेलू कंपनियों को डीडीटी, अपने मुनाफे पर टैक्स अदा करने के अलावा देना पड़ता है. एक तरह से डीडीटी कंपनियों के लिए डबल बोझ की तरह होता है. हालांकि, बजट में सरकार ने इस बोझ को खत्‍म कर दिया है. वहीं अब यह टैक्‍स, मुनाफा लेने वाले शेयर धारकों पर लगेगा. जाहिर सी बात है कि सरकार ने कंपनियों को राहत दी है तो वहीं शेयर होल्‍डर्स के लिए चुनौती बरकरार है.

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यहां बता दें कि शेयर बाजार में जो कंपनियां सबसे अधिक डिविडेंड देती हैं उनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, इंडियन ऑयल, एचडीएफसी बैंक, कोल इंडिया, आईटीसी और वेंदाता शामिल हैं. इसके अलावा एनटीपीसी, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान युनिलीवर और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियां भी डिविडेंड देने के लिए जानी जाती हैं.

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क्‍या होगा फायदा?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान बताया, ''भारतीय शेयर बाजार को और भी अधिक आकर्षक बनाने, निवेशकों के एक बड़े वर्ग को राहत देने के लिए ये प्रस्‍ताव लाया गया है. वहीं निवेशकों को भी लुभाने में कामयाब होगा. ज्यादातर विदेशी निवेशकों को उनके अपने देश में डीडीटी क्रेडिट का लाभ उपलब्ध नहीं होने से उन्‍हें नुकसान होता है.'' निर्मला सीतारमण के मुताबिक डीडीटी को हटाने के बाद हर साल अनुमानित 25,000 करोड़ रुपये के राजस्‍व का नुकसान होगा. यहां बता दें कि म्युचुअल फंड स्कीमों के डिविडेंड पर भी डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स लागू होता है.

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