
वित्त मंत्री ने देश में नोटबंदी के बाद पैदा हुई कैश की किल्लत से निपटने और कैशलेस इकोनॉमी की तरफ देश को बढ़ाने के लिए कैश ट्रांजैक्शन पर नई लिमिट लगा दी है. अब देश में 3 लाख रुपये से अधिक की रकम में कैश ट्रांजैक्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस आशय इनकम टैक्स एक्ट में जरूरी संशोधन किया जाएगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में एक नए ‘क्षितिज’ का निर्माण हुआ है. इसमें सकल घरेलू उत्पाद के विकास की दर तुलनात्मक रूप से अधिक होगी और अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी एवं वास्तविक होगी.
जेटली ने कहा कि सरकार का यह कदम भ्रष्टाचार, कालेधन, जाली नोट और आतंकी गतिविधियों को खत्म करने के लिए बेहद अहम है.
वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार में कमी, अर्थव्यवस्था का डिजिटलाइजेशन और वित्तीय बचतों में वृद्धि होगी. इससे जीडीपी और टैक्स रेवेन्यू में सरकार को इजाफा होगा.
बजट में घोषणा की गई कि केन्द्र सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए भीम ऐप को अधिक पॉपुलर करेगी. इसके लिए सरकार दो नई स्कीम लॉच करने जा रही है जहां भीम ऐप रेफर करने पर बोनस और मर्चेंट द्वारा इसके इस्तेमाल पर कैशबैक स्कीम शामिल है.
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम के मर्चेंट वर्जन को जल्द शुरू किया जाएगा. इसका सीधा फायदा उन लोगों को पहुंचेगा जो डेबिट और क्रेडिट कार्ड की सुविधा के साथ मोबाइल वॉलेट और मोबाइल फोन की सुविधा से लैस नहीं हैं.
अरुण जेटली ने बजट घोषणा की कि वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार की कोशिश यूपीआई, यूएसएसडी, आधार पे, आईएमपीएस और डेबिट कार्ड के जरिए 2,500 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन कराने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने के लिए बैंकों को मार्च 2017 तक 10 लाख नए पीओएस टर्मिनल लगाने होंगे और सितंबर 2017 तक 20 लाख आधार बेस्ड पीओएस मशीनों का इस्तेमाल शुरू करना होगा.
गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में बनी मुख्यमंत्रियों की समिति ने कैश ट्रांजैक्शन को टैक्स के दायरे में लाने की सिफारिश की थी. रिपोर्ट में डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए और कैश लेनदेन को कम करने के लिए यह सुझाव दिया गया था.
समिति ने अर्थव्यवस्था में नकदी का इस्तेमाल कम करने के उद्देश्य से सभी तरह के बड़े लेन-देन में नकद लेन-देन की एक सीमा तय करने तथा 50,000 रुपए से अधिक के लेन-देन पर शुल्क लगाने की सिफारिश की थी.