
एअर इंडिया को खस्ता हालत से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने एअर इंडिया के विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. कैबिनेट की बैठक में सरकार ने 'महाराजा' की हिस्सेदार को बेचने का फैसला लिया है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पहले ही केंद्र से इसके विनिवेश को मंजूरी देने की सिफारिश की थी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए एक पैनल बनाया जाएगा . बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी. एअर इंडिया लंबे वक्त से घाटे में चल रही है और उसका घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में सरकार ने एयर इंडिया को उबारने के लिए यह कदम उठाया है.
जेटली ने कहा, 'सैद्धांतिक रूप से एयर इंडिया के विनिवेश की मंजूरी दे दी गई है. विनिवेश प्रक्रिया के तौर-तरीके तय करने के लिए वित्तमंत्री की अध्यक्षता में एक समूह गठित करने के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव को भी स्वीकार लिया गया है.'
सरकार की ओर से पहले भी कई बार एअर इंडिया के हालात सुधारने की कोशिश की है. बावजूद इसके वित्तीय नुकसान ने जूझती एअर इंडिया की हालत चिंताजनक बनी हुई थी. काफी लंबे वक्त से इसके विनिवेश की मांग उठ रही है ताकि एअर इंडिया के कर्ज से डूबे सरकारी बैंकों को सहारा दिया जा सके. फिलहाल एअर इंडिया के पास 140 विमान के साथ देश की सबसे बड़ी घरेलू विमान सेवा है. जिसमें 41 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ 72 घरेलू उड़ाने शामिल हैं. एअरलाइन के ऊपर 52,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और पूर्व यूपीए सरकार ने 2012 में उसे 30,000 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध कराई थी.
एअर इंडिया के विनिवेश को मंजूरी के बाद निजी कंपनी टाटा सरकार से एअर इंडिया की हिस्सेदारी खरीद सकती है. हाल में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इस बाबत टाटा के अधिकारों और सरकार के बीच अनौपचारिक बातचीत भी हुई है. अगर ऐसा होता है तो असल में एअर इंडिया की यह घर वापसी होगी क्योंकि वर्ष 1953 से पहले एअर इंडिया का स्वामित्व टाटा समूह के पास ही था.