
उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें बढ़ रही हैं. इस केस की जांच के लिए गठित एसआईटी की टीम और एडीजी लखनऊ जोन पीड़िता के गांव पहुंच गए हैं. पीड़िता और उसके परिवार को किसी की गुप्त जगह ले जाकर पूछताछ की जा रही है. आरोपी बीजेपी विधायक से भी पूछताछ की जा सकती है.
Live Updates:-
- एसआईटी टीम के सामने अपना बयान दर्ज कराने के बाद पीड़िता परिजनों के साथ उन्नाव के होटल में लौटी.
- आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर अपने गांव के लिए लखनऊ से रवाना.
- लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्ण पीड़िता के घर पहुंचे. उन्होंने कहा- हम जांच के लिए यहां आए हैं. आज शाम तक सरकार को रिपोर्ट भेज दी जाएगी. हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं.
- उन्नाव गैंगरेप केस के बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया. गुरुवार को चीफ जस्टिस सुनवाई करेंगे. यूपी सरकार को पूरी रिपोर्ट पेश करने का आदेश.
- जांच के लिए गठित एसआईटी टीम पीड़िता के गांव पहुंची. गुप्त स्थान पर पूछताछ जारी.
बुधवार सुबह बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर ने यूपी के DGP ओपी सिंह से मिलने पहुंची. उनसे मिलने के बाद उन्होंने कहा कि वह अपने पति के लिए न्याय की गुहार लगाने यहां आई है. उनके पति निर्दोष हैं. उनको रेप केस में जानबूझकर फंसाया जा रहा है. पीड़िता और आरोपी का नार्को टेस्ट होना चाहिए.
उधर, पीड़िता ने एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इंसाफ की मांग की है. उसका कहना है कि जिलाधिकारी ने उसको और उसके परिवार को होटल में रखा हुआ है. वहां उनको पानी तक नहीं पूछा जा रहा है. उसकी जिंदगी को नर्क बनाने वाले बीजेपी विधायक को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना चाहिए. दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए.
पिछले साल जब योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी, तो बार-बार कहा कि अब प्रदेश में गुंडों की शामत आ जाएगी. प्रदेश में कानून का राज होगा. लेकिन जब अपने ही विधायक गुंडे बने बैठे हैं, तो कानून का राज कैसे स्थापित होगा. बीजेपी विधायक पर रेप और हत्या का आरोप लगा. पुलिस उन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाई है.
लड़की रेप का दावा करती है तो करती रहे. बीजेपी विधायक कल भी आजाद थे और अब भी आजाद हैं. सरकार अपनी है. सत्ता अपनी है. अब भला पुलिस वाले हाथ कैसे डाले. पर सरकार की अपनी मजबूरी है. स्वच्छ छवि का सवाल जो है, तो कार्रवाई हो भी रही है. विधायक के भाई सलाखों के पीछे हैं. वर्दीवाले दौड़ लगाए हुए हैं. सचिवायल में फाइलें सरपट उड़ रही है.
जांच निष्पक्ष दिखे इसलिए SIT भी गठन कर दिया गया. SIT जांच करेगी रेप हुआ कि नहीं. पीड़िता के पिता की कस्टडी में मौत कैसे हुई. क्या कोई साजिश थी. यदि अगर साजिश थी तो क्या इसमें विधायक जी शामिल थे या नहीं. मुख्यमंत्री ने पीड़िता को इंसाफ का भरोसा तो पहले ही दिया था. अब सीएम साहब ने आज शाम तक एसआईटी को रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
एसआईटी की टीम आज उन्नाव पहुंच रही है. मुख्यमंत्री ने आज शाम तक पहली रिपोर्ट सौंप देगी. 11 महीने से उन्नाव की पुलिस भी जांच कर रही थी. अब SIT जांच करेगी. विधायक जी की गिरफ्तारी तो छोड़िए. उनसे अब तक पूछताछ भी नहीं हुई. उन पर रेप का आरोप लगा. हत्या करवाने का आरोप लगा, लेकिन चेहरे पर अब तक कोई शिकन तक नहीं है.
वह कल भी मस्त थे आज भी मस्त हैं. सिस्टम के जेब में होने का भरोसा तो देखिए. पीड़ित लड़की के चाचा तो सब भूल जाने की नसीहत देने में इनकी आवाज तक नहीं कांपी. उसको फोन पर धमकी दे डाली. इस विधायक कुलदीप सिंह सेंगर कहते हैं, 'सारी लड़ाई खत्म करो. तुम हमारे पास आओ, हम तुम मिलकर नया अध्याय शुरू करते हैं.'
बीजेपी विधायक नया अध्याय लिखने के लिए बेताब है, लेकिन अभी पिछला बही खाता बंद नहीं हुआ है. उसका हिसाब कौन करेगा. पहले उसका हिसाब तो हो जाने दीजिए. एक लड़की से रेप और उसके पिता की हत्या कराने का हिसाब. सवाल ये है कि अगर विधायक जी इतने सच्चे हैं तो क्यों पीड़ित परिवार को चुप करना चाहते हैं.
क्यों कैमरे पर जांच की बात करते हैं और पर्दे के पीछे केस खत्म कराने की सेटिंग करते हैं. विधायक कुलदीप सिंह सेंघर की ये हड़बड़ी उनकी पोल खोल रही है. लेकिन यूपी पुलिस को ये दिखता नहीं है. नफा नुकसान की सटीक जानकारी रखने वाली यूपी पुलिस को ये दिखेगा भी कैसे. आखिर मामला सत्ताधारी पार्टी के विधायक का जो है.
इस मामले में मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट तलब कर ली है. इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी जानकारी देने को कहा है कि उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, जिन्होंने एफआईआर दर्ज करने से इंकार किया था.
आयोग ने कहा है कि डीजीपी बताएं कि न्यायिक हिरासत में हुई मौत की रिपोर्ट आयोग को 24 घंटे के अंदर क्यों नहीं दी गई? इस मामले में मृतक की हेल्थ रिपोर्ट भी मांगी गई है, जब वह जेल में निरुद्ध किया गया था. इसके साथ ही पूछा गया कि जेल प्रशासन की तरफ से उसका क्या उपचार किया गया. ये रिपोर्ट चार सप्ताह के अंदर आयोग को भेजनी होगी.