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UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए वीटो पावर की 'बलि' देने को तैयार भारत

संयुक्त राष्ट्र में घटे ताजा घटनाक्रम में यह बात सामने आई कि जी4 देश (जिसमें भारत भी शामिल है) संयुक्त राष्ट्र के स्थाई सदस्य के तौर पर वीटो का अधिकार नहीं होने (कुछ समय के लिए छोड़ने) के विकल्प पर भी तैयार हैं.

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BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 7:44 AM IST

संयुक्त राष्ट्र में घटे ताजा घटनाक्रम में यह बात सामने आई कि जी4 देश (जिसमें भारत भी शामिल है) संयुक्त राष्ट्र के स्थाई सदस्य के तौर पर वीटो का अधिकार नहीं होने (कुछ समय के लिए छोड़ने) के विकल्प पर भी तैयार हैं.

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के प्रयास के तहत भारत और जी4 के अन्य देशों ने कहा है कि वे सुधार के लिए नवोन्मेषी विचारों के लिए तैयार हैं और स्थाई सदस्य के तौर पर अस्थायी रूप से वीटो का अधिकार नहीं होने के विकल्प के लिए भी तैयार हैं.

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कल अंतर सरकारी वार्ता बैठक में एक संयुक्त बयान में कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश स्थायी और अस्थायी सदस्यता के विस्तार का समर्थन करते हैं. आपको बता दें कि जी-4 में भारत के अलावा ब्राजील, जर्मनी और जापान शामिल हैं.

बयान में कहा गया, "इस बात से अवगत हैं कि आगे बढ़ने के लिए कोई दूसरा तरीका नहीं है लेकिन इसके साथ ही हम संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए नए विचारों का स्वागत करते हैं."

जी-4 देशों ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक उन्हें कोई प्रगतिशील विचार सुनने को नहीं मिला है और कुछ देश पुराने ठुकराए गए विचारों को दोबारा पेश कर रहे हैं.

बयान में कहा गया कि उनका मानना है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी और गैर स्थायी सदस्यों के बीच प्रभाव का असंतुलन है और गैर स्थायी श्रेणी में विस्तार करने भर से समस्या हल नहीं होगी. बयान में आगे कहा गया है, "वास्तव में यह स्थायी और गैर स्थायी सदस्यों के बीच अंतर को और गहरा करेगा."

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वीटो के मुद्दे पर जी-4 ने कहा कि उनका मानना है कि प्रतिबंध लाने पर वीटो का मामला मात्रात्मक न हो कर गुणवत्ता का है.

आपको बता दें कि जी-4 द्वारा एक साथ दावेदारी करने से उसकी स्थिति काफी मजबूत हुई है. लेकिन जी-4 के 'असंतुष्ट पड़ोसी ' ग्रुप के अन्य देशों के लिए भी सकारात्मक रुख अख्तियार नहीं कर रहे हैं. मसलन जी-4 में शामिल जापान को चीन का विरोध झेलना पड़ रहा है तो जर्मनी को इटली का. वहीं दूसरी ओर भारत की राह में पाकिस्तान रोड़े अटका रहा है.

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