
आगरा जिले के विश्वदाय स्मारक फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजा और हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के नियमों की खुलेआम धज्जियां उडाई जा रही हैं. आजतक.इन की टीम ने एक स्टिंग ऑपरेशन में इस मामले का खुलासा किया है. जहां खुलेआम व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. जबकि किसी भी विश्वदाय स्मारक के 100 मीटर के दायरे में ऐसी गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगा रखा है.
फतेहपुर सीकरी के वर्ल्ड हैरिटेज मोन्यूमेंट बुलंद दरवाजा और प्रख्यात सूफी संत हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक आते हैं. मगर आए दिन यहां पर्यटकों के साथ जोर जबरदस्ती और लपकेबाजी की घटनाएं भी होती रहती हैं. जिसकी सबसे बड़ी वजह है, दरगाह परिसर में अवैध रूप से लगने वाली दुकानें.
शिकायत पर कार्रवाई नहीं
सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में साफ निर्देश हैं कि किसी भी विश्वदाय स्मारक के अंदर तो क्या उसके आस-पास सौ मीटर तक कोई व्यवसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकती है. लेकिन फतेहपुर सीकरी स्मारक परिसर में खुलेआम जमीन पर दुकानें लगाई जा रही हैं. जब इस बारे में एएसआई के अधिकारी इस संबंध में आगरा पुलिस प्रशासन को समय समय पर शिकायत करते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती.
निजी सुरक्षाकर्मियों के हवाले है सुरक्षा
ताजमहल की की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के पास है, लेकिन फतेहपुर सीकरी में ऐसा नहीं है. बल्कि यहां की सुरक्षा खुद एएसआई के निजी सुरक्षा गार्ड करते हैं. एएसआई ने एक सिक्यूरिटी कंपनी को इस काम का जिम्मा सौंप रखा है. 46 गार्डस 24 घंटे स्मारक की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. अगर वे अवैध रूप से लगने वाली दुकानों का विरोध करते हैं, तो स्थानीय लोगों से उनकी झड़प हो जाती है. अभी कुछ दिन पहले ही फतेहपुर सीकरी स्मारक में कुछ स्थानीय लोगों ने एक सुरक्षा गार्ड की पिटाई कर दी थी. यहां तक कि उसकी वर्दी भी फाड़ दी थी.
आंखें बंद किए बैठा है पुलिस प्रशासन
एएसआई के अधिकारी भले ही आगरा के पुलिस प्रशासन के खिलाफ कुछ नहीं कहते है, लेकिन कहीं न कहीं पुलिस विभाग की उदासीनता उनके लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. यही वजह है कि स्थानीय दुकानदार सुप्रीम कोर्ट के नियमों को दरकिनार कर परिसर में जबरन दुकानें लगाए बैठें हैं. इस बारे में जब हमने आगरा के एसएसपी डॉ. प्रितिन्दर सिंह से बात करने की कोशिश की तो वे फोन पर नहीं आए. हालांकि उनके पीआरओ से इस संबंध में पूछने पर उसने बताया कि साहब से बात करा देंगे. मगर न तो उन्होंने फोन किया और न ही सीयूजी नंबर दोबारा उठाने की जहमत उठाई. यहां तक कि एसएसपी के दोनों नंबरों पर बात करने के लिए एसएमएस भी किया गया. मगर कोई उत्तर नहीं मिला. जाहिर है इस मामले पर पुलिस अधिकारी बोलने से कतराते नजर आते हैं.
कैमरे में कैद हुई अवैध दुकानें
देश के सबसे बड़ी अदालत स्मारकों पर होने वाली इस तरह की अवैध गतिविधियों को लेकर खासी गंभीर है. बावजूद इसके पुलिस प्रशासन का लापरवाह होना हैरानी की बात है. जब हमारी टीम ने मौके पर जाकर मुआयना किया तो पाया कि स्मारक के प्रवेश द्वार पर बनी सीढियों से लेकर परिसर के अंदर चारों तरफ जमीन पर दुकाने सजी हुई हैं. यहां तक कि स्मारक का मुख्य द्वार यानी बुलंद दरवाजा भी इन दुकानों से बचा नहीं है. हमारे कैमरे की नजर में सारी दुकानें और दुकानदार कैद हो गए. जिन्हें एएसआई का कोई डर नहीं है और न ही सुप्रीम कोर्ट के नियमों की कोई परवाह. ऐसे में सवाल उठता है कि स्मारक की देखरेख और संरक्षण के लिए जिम्मेदार विभाग एएसआई की लाख शिकायतों के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई न होना सीधे तौर पर पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े करता है.
अकबर ने बनाया था राजधानी
बताते चलें कि मुगल बादशाह अकबर ने 1571 से 1585 तक इस नगर को राजधानी बनाकर रखा था. यह स्मारक हिंदू और मुस्लिम वास्तुशिल्प के मिश्रण का सबसे अच्छा उदाहरण है. फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्का की मस्जिद की नकल है. इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्तुशिल्प से लिए गए हैं. मस्जिद का प्रवेश द्वार 54 मीटर ऊंचा बुलंद दरवाजा है, जिसका निर्माण 1570 ई० में किया गया था. मस्जिद के उत्तर में मशहूर सूफी संत हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है. इसके अलावा आंख मिचौली, दीवान-ए-खास, बुलंद दरवाजा, पांच महल, ख्वाबगाह, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्मारक हैं.