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ISI-बब्बर खालसा के लिए खौफ था ये अफसर, किसी को पच नहीं रही खुदकुशी की बात

यूपी पुलिस के तेज तर्रार और बहादुर अफसर राजेश साहनी की मौत ने पूरे महकमे को झकझोर दिया है. पुलिस क्या सूबे में किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा है कि राजेश कभी खुदकुशी कर सकते हैं.

ASP राजेश साहनी ASP राजेश साहनी
मुकेश कुमार
  • लखनऊ,
  • 30 मई 2018,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

यूपी पुलिस के तेज तर्रार और बहादुर अफसर राजेश साहनी की मौत ने पूरे महकमे को झकझोर दिया है. पुलिस क्या सूबे में किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा है कि राजेश कभी खुदकुशी कर सकते हैं. बब्बर खालसा और सैफुल्ला जैसे आतंकियों को धूल चटाने वाले अफसर के साथ ऐसा क्या हुआ कि उसकी जान चली गई, यह बहुत बड़ा सवाल बना हुआ है.

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1992 बैच के पीपीएस अधिकारी राजेश साहनी का नाम उत्तर प्रदेश पुलिस के बेहद काबिल अफसरों में शामिल था. बीते सप्ताह ही पिथौरागढ़ से आईएसआई एजेंट रमेश सिंह को गिरफ्तार करने में उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी. एटीएस में आने के बाद आतंकी सैफुल्ला से मुठभेड़ के अलावा साल बब्बर खालसा के आतंकी जसवंत सिंह को पकड़ने में अहम भूमिका थी.

राजेश साहनी को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वह व्यक्तिगत जीवन में जितने सौम्य थे, अपराधियों के लिए उतने ही कड़े मिजाज. उनकी कहानियां आज यूपी पुलिस की गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं. साल 2006 की बात है. शाम का समय था. उस वक्त सहारागंज की ओर से एक जीप तेजी से आती हुई दिखी. उस पर एक पार्टी का झंडा लगा था.

राजेश साहनी की हिम्मत की कहानी

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दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, उस जीप के बोनट के निचले हिस्से में राजेश साहनी लटके हुए रोकने के लिए चिल्ला रहे थे. कुछ दूर घूमने के बाद जीप सवार उसे लेकर एसएसपी ऑफिस के अंदर दाखिल हो गए. बताया गया कि सत्ताधारी दल से जुड़े 5 दबंग नेताओं ने डालीगंज चौराहे पर चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मियों को कुचलकर भागने का प्रयास किया.

फिल्मी स्टाइल में बोनट पर चढ़ गए

तभी राजेश साहनी कूदकर बोनट पर चढ़ गए. जीप को रोकने लगे. जीप की रफ्तार बढ़ी तो साहनी नीचे की ओर गिरने लगे बोनट के आगे का हिस्सा पकड़ लिया. दबंग नेता अपनी जीप कई किलोमीटर घुमाने के बाद सप्रू मार्ग स्थित एसएसपी कार्यालय के अंदर घुस गए. इसके बाद पुलिस की टीम ने उन सबको घेर लिया. उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया.

दबंग नेताओं को दिलाई थी सजा

पुलिस ने इस मामले में तेजी दिखाई और सत्ताधारी पार्टी का करीब बताने वाले पांचों आरोपियों पृथ्वी राज, नरायन राज, उदय प्रताप, हर्ष, राज्यवर्धन को कम समय में 10-10 साल की सजा दिलाने में कामयाबी हासिल की थी. सत्ताधारी पार्टी के रसूख की परवाह किए बिना कानून की हिफाजत राजेश साहनी जैसा ही अफसर ही कर सकता था.

ड्राइवर से मंगाई थी सर्विस पिस्टल

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आईजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि राजेश साहनी ने अपने ड्राइवर से सर्विस पिस्टल मंगाई थी. वह अपने साथ पिस्टल लेकर नहीं चलते थे. मौक पड़ने पर उसे साथ लेकर जाते थे. उन्होंने ड्राइवर से बोला कि वह किसी ऑपरेशन में जा रहे हैं. उनको पिस्टल देने के बाद ड्राइवर उनके कमरे से बाहर चला गया था. कुछ देर बाद वह कमरे में दिखाई नहीं दिए.

मौत से पहले पत्नी से हुई बात

ड्राइवर ने उनकी तलाश शुरू कर दी. कुछ अन्य पुलिस अफसरों के साथ उनके पुराने कमरे में पहुंचे, तो सभी आवाक रह गए. राजेश साहनी कुर्सी के पास फर्श पर खून से लथपथ पड़े थे. उनके दाहिने हाथ में पिस्टल थी. गोली दाहिनी कनपटी से घुसकर बाईं कनपटी से पार निकल गई थी. मौत से पहले उन्होंने अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी और सामान्य थे.

नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

एडीजी कानून-व्यवस्था आनन्द कुमार का कहना है, 'यह दुखद है कि एक होनहार और जांबाज पुलिस अधिकारी ने आत्महत्या कर ली है. लखनऊ पुलिस इसकी गहनता से जांच कर रही है. उन्होंने ड्राइवर से पिस्टल मंगाकर कार्यालय में ही खुद को गोली मार ली. आत्महत्या का कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो सका है. कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है.'

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