
उत्तर प्रदेश में बदलाव की लहर पर सवार होकर पहली बार पूर्ण बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है. सूबे के मुख्यमंत्री के लिए पार्टी ने आदित्यनाथ योगी को चुना और योगी ने शपथ लेने के बाद अपने चुनावी वादे के मुताबिक प्रदेश में मीट कारोबार के खिलाफ सख्त रुख एख्तियार कर लिया. इस फैसले के बाद तेजी से कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री का अगला अहम फैसला प्रदेश में शराबबंदी का हो सकता है.
किन कारणों से मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ले सकते हैं शराबबंदी का फैसला-
1. योगी ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का दावा किया है. योगी ने यूपी को पीएम मोदी के सपनों का प्रदेश बनाने का आश्वासन दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि गुजरात मॉडल को यूपी में लागू किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो यूपी में भी योगी गुजरात की तर्ज पर शराबबंदी लागू कर सकते हैं.
2. शराबबंदी के लिए पीएम मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सार्वजनिक मंच से प्रशंसा की थी. बिहार के विधानसभा चुनावों में नीतीश लालू के हाथों करारी हार का सामना करने के बाद बीजेपी का मानना है कि राज्य में नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी का फैसला बेहद अहम रहा. जदयू और आरजेडी को मिली जीत के पीछे बीजेपी मानती है कि शराबबंदी का फैसला अहम रहा. इस फैसले से राज्य में महिला वोटरों ने नीतीश के पक्ष में जमकर वोटिंग की.
3. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ साफ कर चुके हैं कि प्रदेश में सत्ता की कमान संभालने के बाद उनका सबसे अहम लक्ष्य 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को एक बार फिर बंपर जीत दिलाने का है. मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों समेत सभी विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान कर चुके हैं कि उन्हें आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए काम करने की जरूरत है. लिहाजा, कयास लगाया जा रहा है कि राज्य में बहुत जल्द शराबबंदी का फैसला लेकर बीजेपी प्रदेश में महिला वोटरों के बीच अपनी साख मजबूत करने की कोशिश करेगी.
4. उत्तर प्रदेश में बीते दो दशकों से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकार रही है. बीजेपी का मानना है कि प्रदेश में शराब कारोबारियों का पूरा सपोर्ट इन्हीं पार्टियों को रहता है. खासतौर पर समाजवादी पार्टी को चुनावों के लिए शराब माफियाओं और कारोबारियों से अहम फंडिंग की जाती है. लिहाजा अपने विरोधियों की कमर तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री राज्य में शराबबंदी का ऐलान करने का दांव चल सकते हैं.
5. शराबबंदी का ऐलान बीजेपी के हित में होने के साथ-साथ मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के धार्मिक सिद्धांतों पर भी सटीक है.