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CM योगी ने की सख्ती, सरकारी स्कूलों से पुत गया 'इस्लामिया'

योगी ने कहा कि प्राइमरी स्कूल बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत ही रहेंगे. प्राइमरी स्कूल की जो पहचान है वैसी ही रहेंगे. किसी जाति या मजहब के रूप में विद्यालयों की पहचान नहीं होगी. इस तरह की किसी भी हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय (फोटो क्रेडिट राम प्रताप) इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय (फोटो क्रेडिट राम प्रताप)
कुमार अभिषेक
  • देवरिया\लखनऊ,
  • 23 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

देवरिया जिले के सलेमपुर क्षेत्र में सरकारी प्राइमरी स्कूल के नाम परिवर्तित कर आदर्श इस्लामिया प्राइमरी स्कूल करने और शुक्रवार को विद्यालय बंद रखने की बात सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त लहजे में कहा कि इस प्रकार की शरारत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रदेश में विद्यालय किसी जाति या मजहब के रूप में नहीं रहेंगे.

योगी ने कहा कि प्राइमरी स्कूल बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत ही रहेंगे. प्राइमरी स्कूल की जो पहचान है वैसे ही रहेंगे. किसी जाति या मजहब के रूप में विद्यालयों की पहचान नहीं होगी. इस तरह की किसी भी हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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बता दें कि देवरिया जिले के सलेमपुर तहसील के नवलपुर गांव में स्थित प्राइमरी स्कूल के बिल्डिंग में विद्यालय का नाम प्राइमरी स्कूल की जगह इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय नवलपुर में तब्दील कर दिया. इतना ही नहीं रविवार के बजाए शुक्रवार को विद्यालय बंद रहता है. एक तरह से सरकारी स्कूल को मदरसे में तब्दील कर दिया गया. इस बात के सामने आते ही बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया था.

देवरिया के जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने बेसिक शिक्षा अधिकारी से जांच पत्रावली तलब करते हुए इस मामले की जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया. इसके बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार पांडे ने जांच में पाया कि कागजों और रजिस्टर पर स्कूल का नाम राजकीय प्राथमिक विद्यालय है जबकि स्कूल का बोर्ड इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय के तौर पर लिखा गया है.

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देवरिया जिले में अभी तक ऐसे 6 स्कूल सामने आए हैं जिन्होंने खुद को सरकारी नियमों से अलग करते हुए राजकीय प्राथमिक विद्यालय की जगह इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय में तब्दील कर लिया. इतना ही नहीं इन सरकारी स्कूल को पूरी तरह मदरसों की तर्ज पर चलाया जा रहा है, जहां स्कूलों की दीवारों पर मजहबी नारे और मजहब के बारे में लिखी बातें मिली है. विद्यालय में बच्चों के नाम और शिक्षकों के हस्ताक्षर और पढ़ाई सब कुछ उर्दू में हो रही थी.

बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार पांडे ने बताया कि जांच में ऐसे 6 विद्यालय पाए गए हैं जिन्होंने अपने नाम बदले हैं और चुपचाप मदरसों के तर्ज पर चलाया जा रहा था. इस बात की जांच की जा रही है कि ये सब किसने और कब से है. हालांकि फिर से प्राथमिक स्कूल में तब्दील कर दिया है नाम हटा दिए गए हैं  और शुक्रवार की जगह रविवार को ही छुट्टी होगी. उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी ये किया है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

देवरिया जनपद में छह इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय चलते है. इनमें इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय नवलपुर, इस्लामिया आदर्श प्राथमिक विद्यालय करमहा, इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय सामीपट्टी, इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय पोखरभिंडा, इस्लामिया प्राथमिक जैतपुरा और इस्लामिया प्राथमिक हरैया शामिल है.

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स्कूलों के हेडमास्टरों ने ही यह बताया कि विद्यालय शुक्रवार को बंद रहते हैं. स्कूलों के नाम में इस्लामिया लिखने की परम्परा 1904 से है, जबसे ये विद्यालय हैं. तभी से ये चला आ रहा है.

बता दें कि यह सभी स्कूल बेसिक शिक्षा विभाग के अंदर आते हैं. यहां सभी टीचर मुस्लिम वर्ग से आते हैं इन स्कूलों का नाम बदल कर इस्लामिया प्राथमिक स्कूल कर दिया गया है. यहां टीचर की उपस्थिति भी उर्दू में दर्ज होती है यहां शुक्रवार के दिन स्कूल बंद होता है और रविवार के दिन खुला होता है.

विद्यालय के अध्यापकों का कहना है कि यह कई सालों से चल रहा है. इसके लिए कोई सरकारी आदेश नहीं है, यहां मुस्लिम समुदाय के 60 से 80 प्रतिशत बच्चे पढ़ते हैं. इस कारण यह व्यवस्था कर दी गई है.

दरअसल मामला मिड डे मील की ऑडिट से इसका खुलासा हुआ है. प्रदेश में हर दिन सभी स्कूलों को मिड डे मील में छात्रों की उपस्थिति को सरकार को डाटा भेजना पड़ता है लेकिन इन स्कूलों में हर शुक्रवार को छात्रों की उपस्थिति शून्य होती. जबकि इन स्कूलों में है रविवार को मिड डे मील दिया जाता था.

इस ऑडिट में यह सामने आया कि कुछ ऐसे स्कूल हैं जो रविवार को चल रहे हैं. इससे विभाग के कान खड़े हुए. इसके बाद पता चला कि एक समुदाय विशेष के परंपराओं के हिसाब से स्कूल को चलाया जा रहा है. हालांकि स्कूलों के शिक्षक और प्राध्यापक यह कह रहे हैं कि ऐसा स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की बहुलता को देखते हुए किया गया है लेकिन यह कब से चला आ रहा है किसी को सच पता नहीं है. अब पूरा मामला जांच के घेरे में है.

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दरअसल यह पूरा मामला तब खुला जब सलेमपुर के खंड शिक्षा अधिकारी ने यह देखा कि इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय, नवलपुर में मिड डे मील में शुक्रवार को छात्रों की संख्या शून्य दर्शाया जा रहा है और रविवार को रजिस्टर में बच्चो को खाना दिया जा रहा है.

इस्लामिया स्कूल के हेडमास्टर खुर्शीद अहमद कहते हैं -हम 2008 में आए हैं, तब से ऐसा ही चल रहा है. जबकि हमसे पहले बचिया देवी थी उनके समय में भी इसी तरह से चल रहा था. यह विद्यालय 1904 से है और तभी से परंपरा चली आ रही है.

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