
क्या समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर चल रही बात टूट गई है या फिर अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा अपनी संभावित सहयोगी पार्टी के खिलाफ दबाव की रणनीति का इस्तेमाल कर रही है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अखिलेश यादव ने आज पहली लिस्ट में जिन 191 उम्मीदवारों के नाम जारी किए उनमें उन सीटों पर भी उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं जिनपर पिछली बार कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और वो कांग्रेस की डिमांड लिस्ट में शामिल थीं. हालांकि सपा के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा का कहना है कि हम कांग्रेस को 84-89 सीटें दे सकते हैं.
18 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी
वहीं शुक्रवार शाम सपा ने 18 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट भी जारी कर दी. जिसमें वरिष्ठ नेता बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को बहराइच के कैसरगंज से टिकट दिया गया है. इस लिस्ट में सपा में जारी कलह के दौरान अखिलेश समर्थक रहे पवन पांडे को फैजाबाद के अयोध्या सीट पर उतारा गया है. पवन पांडे पर ही आशू मलिक से हाथापाई करने का आरोप लगा था. इसके बाद उन्हें शिवपाल यादव ने पार्टी ने बर्खास्त कर दिया था, हालांकि वे अखिलेश कैबिनेट में मंत्री पद रहे.
शिवपाल के बेटे को टिकट नहीं
फैजाबाद से ही गोसाईगंज सीट से अभय सिंह और बीकापुर सीट से आनंद सेन को उम्मीदवार घोषित किया गया है. इस तरह अब तक जारी की गई लिस्ट में बेनी प्रसाद वर्मा, नरेश अग्रवाल और आजम खान के बेटों को टिकट दे दिया है. हालांकि शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव को अब तक किसी सीट पर टिकट नहीं मिला है.
मुस्लिम उम्मीदवारों की दी जा रही वरीयता
बेनी प्रसाद वर्मा, नरेश अग्रवाल और आजम खान के बेटों को टिकट दिया है. सपा द्वारा जारी 18 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में छह मुस्लिम और दो दलित उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं. पहली और दूसरी लिस्ट को मिलाकर अब तक समाजवादी पार्टी ने 209 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इनमें 56 मुस्लिम, 41 दलित और 22 यादव उम्मीदवार हैं. इस तरह से सपा की अब तक घोषित लिस्ट में 26.5 फीसदी मुसलमान, 19.6 फीसदी दलित और 10.52 फीसदी यादव उम्मीदवार हैं.
अखिलेश यादव की लिस्ट में मथुरा, खुर्जा, हापुड़, शामली, स्याना, स्वार-टांडा पर सपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. मथुरा से कांग्रेस के सीएलपी प्रदीप माथुर 4 बार से विधायक हैं, वहीं खुर्जा से बंशी पहाड़िया, हापुड़ से गजराज सिंह और शामली से पंकज मलिक कांग्रेस के विधायक हैं. स्याना से कांग्रेस विधायक दिलनवाज खान हाल ही में पार्टी छोड़ बसपा में शामिल हो चुके हैं. कांग्रेस ये सीट सपा को देने को राजी थी, लेकिन उसके बदले में दूसरी सीट मांग रही थी.
कांग्रेस की सिटिंग स्वार सीट से आजम खान के बेटे को सपा का टिकट मिला है जबकि इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर नवाब काजिम अली जीते थे, जो हाल में बसपा चले गए. कांग्रेस रामपुर जिले की इस सीट को छोड़ने को तैयार थी, लेकिन उसके बदले में चमरौआ सीट चाहती थी. सपा ने दोनों सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.
नोएडा, गाजियाबाद की सीटें भी अखिलेश यादव ने नहीं छोड़ीं, जबकि यहां की शहरी सीटें कांग्रेस मांग रही थी. वहीं मेरठ में भी सीटें घोषित कर कांग्रेस को झटका दिया गया है क्योंकि, यहां भी कांग्रेस की नज़र शहरी सीट पर थी. यही वजह है कि लिस्ट के सार्वजनिक होते ही कांग्रेस-सपा गठबंधन पर सवाल उठने लगे हैं. माना जा रहा है कि या तो गठबंधन की बात टूट गई है या अखिलेश कांग्रेस को दबाव में लेकर अपनी बात मनवाना चाहते हैं.
शिवपाल यादव को जसवंत नगर इटावा से टिकट दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक वो अब भी चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं लेकिन मुलायम ने उनसे बात की है. शिवपाल यादव के बेटे को टिकट नहीं मिला है जबकि आजम खान और नरेश अग्रवाल के बेटे लिस्ट में हैं. आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को रामनगर, स्वार से टिकट मिला है जबकि नितिन को हरदोई से.
नोएडा, गाजियाबाद की सभी सीटें सपा ने उम्मीदवारों को बांट दी हैं जबकि साहिबाबाद और नोएडा पर कांग्रेस की नजर थी. अमेठी (गायत्री प्रजापति) लखनऊ छावनी (अपर्णा यादव) को लेकर मामला फंसा हुआ है.