
यूपी चुनावों के परिणाम लगातार आ रहे हैं. इसी के साथ ही अमेठी और रायबरेली जिसे हम कांग्रेस का गढ़ मानते रहे हैं बीजेपी की लहर में बहता नजर आ रहा है. अमेठी और रायबरेली दोनों जिलों में 10 विधानसभाएं हैं जिनमें बीजेपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है.
पांच सीटों पर बीजेपी आगे है या जीत चुकी है और 5 सीटों पर सपा-कांग्रेस का गठबंधन. कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बनी अमेठी सीट पर बीजेपी की गरिमा सिंह आगे चल रही हैं तो वहीं रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार अदिति सिंह जीत चुकी है. हालांकि अदिति सिंह की जीत में किसी पार्टी का कम उनके पिता अखिलेश सिंह का दमखम ज्यादा नजर आता है.
अमेठी जिले की 5 सीटों में से बीजेपी 4 सीटों पर आगे है जबकि 1 पर सपा. ठीक इसी तरह रायबरेली की 5 सीटों में से बीजेपी 2, कांग्रेस 2 और सपा 1 सीट पर आगे चल रही है.
क्या हैं मायने
रायबरेली में कमजोर कांग्रेस
आपको याद दिला दें कि पिछले विधानसभा चुनावों में रायबरेली जिलों की सभी पांच सीटें कांग्रेस हार गई थी. इन चुनावों में भी कांग्रेस के हाथ सिर्फ दो सीटें हैं. क्या इसका मायने यह नहीं निकालना चाहिए कि कांग्रेस लगातार अपना गढ़ हारती जा रही है. इस बार भी रायबरेली में एक सीट अखिलेश सिंह के परिवार से आई है तो दूसरी सीट (हरचंदपुर) पर सपा गठबंधन का फायदा नजर आया है क्योंकि पिछले चुनावों में इस सीट से सपा का विधायक था. आपको याद दिला दें कि रायबरेली की सभी विधानसभाएं सोनिया गांधी की लोकसभा क्षेत्र में आती हैं. रायबरेली में बाकि दो सीटों पर बीजेपी जीती तो एक पर सपा ने अपना झंडा बुलंद किया.
केसरिया रंग में रंगी अमेठी
इसी तरह अमेठी भी कांग्रेस के हाथ से फिसल चुका है. राहुल की अमेठी में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली. राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया जबकि एक सीट पर सपा ने. मतलब साफ है कि अमेठी पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर नहीं हुई बल्कि छूट चुकी है.
अमेठी विधानसभा सीट
यह सीट 1980 से लगातार 1991 तक कांग्रेस के पास रही. 1993 में इस पर बीजेपी के जमुना मिश्रा ने कब्जा जमाया. लेकिन, 1996 में हुए अगले विधानसभा चुनावों में इसे राम हर्ष सिंह ने वापस कांग्रेस को दिलवाया. 2002 के चुनावों में इस पर बीजेपी से जीतीं अमिता सिंह. 2007 में भी इस सीट से विधायक रहीं अमिता सिंह लेकिन इस बार वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं. 2012 के विधानसभा चुनावों में अमिता सिंह को हरा कर इस सीट पर सपा का झंडा बुलंद किया था गायत्री प्रजापति ने.
ताजा हाल
गरिमा सिंह- बीजेपी (जीतीं)
अमिता सिंह- कांग्रेस
गायत्री प्रसाद- सपा
राम जी- बीएसपी
गौरीगंज विधानसभा सीट
राकेश प्रताप सिंह- सपा (जीते)
विजय किशोर तिवारी- बीएसपी
उमा शंकर पाण्डेय- बीजेपी
मोहम्मद नईम- कांग्रेस
जगदीशपुर विधानसभा सीट
सुरेश कुमार- बीजेपी (जीते)
सलोन विधानसभा सीट
दल बहादुर- बीजेपी (जीते)
तिलोई विधानसभा सीट
मयंकेश्वर शरण सिंह- बीजेपी (जीते)
बछरावां विधानसभा सीट
राम नरेश रावत- बीजेपी (जीते)
हरचंदपुर विधानसभा सीट
राकेश सिंह- कांग्रेस (जीते)
रायबरेली विधानसभा सीट
अदिति सिंह- कांग्रेस (जीते)
सरेनी विधानसभा सीट
धीरेन्द्र बहादुर सिंह- बीजेपी (जीते)
ऊंचाहार विधानसभा सीट
मनोज कुमार पाण्डे- सपा (जीते)