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राहुल की खाट सभा की निकली हवा, खटिया खड़ी-बिस्तरा गोल

कांग्रेस ने बड़े जोर शोर से यूपी में अपना चुनावी कैम्पेन शुरू किया. 2014 में मोदी को और 2015 में नीतीश को अपार सफलता दिला चुके प्रशांत किशोर को हायर किया. प्रशांत किशोर ने रणनीति के साथ यूपी में आगाज किया. कांग्रेस ने 27 साल यूपी बेहाल का नारा दिया. नारा शुरुआत में हिट रहा और किसान यात्रा के दौरान खाट सभा से भीड़ बटोरने की कोशिश हुई, पर इस चुनाव ने यूपी में कांग्रेस के खाट सभा की हवा निकाल दी.

राहुल गांधी राहुल गांधी
केशवानंद धर दुबे
  • लखनऊ,
  • 11 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

कांग्रेस ने बड़े जोर शोर से यूपी में अपना चुनावी कैम्पेन शुरू किया. 2014 में मोदी को और 2015 में नीतीश को अपार सफलता दिला चुके प्रशांत किशोर को हायर किया. प्रशांत किशोर ने रणनीति के साथ यूपी में आगाज किया. कांग्रेस ने 27 साल यूपी बेहाल का नारा दिया. नारा शुरुआत में हिट रहा और किसान यात्रा के दौरान खाट सभा से भीड़ बटोरने की कोशिश हुई, पर इस चुनाव ने यूपी में कांग्रेस के खाट सभा की हवा निकाल दी.

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अच्छी शुरुआत के बाद कैसे कन्फ्यूज हुई कांग्रेस
6 सितंबर 2016 से कांग्रेस ने यूपी में तैयारी शुरू की. प्रशांत किशोर ने 'किसान यात्रा' का रोड मैप खींचा, देवरिया से दिल्ली तक यात्रा निकाली गई. कांग्रेस ने दावा किया पूर्वांचल के 25 हजार राहुल गांधी से सीधे जुड़े. हालांकि, इस दौरान राहुल किसानों के साथ खाट पर बैठकर चर्चा करने उतरे तो सभा के बाद लोग खाट लेकर ही भागते नजर आए. सोशल मीडिया पर वे फोटोज बहुत हिट हुए थे. पॉलिटिकल कैम्पेन के लिहाज से अच्छी शुरुआत कही जा सकती है. पर सपा से गठबंधन की आस और फिर गठबंधन से कांग्रेस बुरूी तरह से कन्फ्यूज हो गई.

कन्फ्यूजन में फेल हुई कांग्रेस की नई टीम
यूपी के लिए कांग्रेस ने नई रणनीति बनाई, टीम में बदलाव किए. प्रशांत किशोर के कहने पर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर दिल्ली में हार चुकीं शीला दीक्षित को सीएम का चेहरा बनाया गया. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर कमान राज बब्बर को दी गई. दोनों ने अपना काम भी शुरू कर दिया पर प्रशांत किशोर से को-ऑर्डिनेशन और गठबंधन होने न होने के कन्फ्यूजन से वे टीम को सफलता नहीं दिला पाए. गठबंधन होते ही बाई डिफॉल्ट शीला दीक्षित सीएम के चेहरे से हट गईं, राज बब्बर भी खुलकर सामने नहीं आ सकें. सूत्रों की मानें तो प्रशांत किशोर पार्टी में कांग्रेस नेताओं को साध नहीं सके. नए प्रेसिडेंट राज बब्बर से यूपी में उनकी ठीक-ठाक नहीं बनी. बब्बर प्रशांत को हमेशा सहायक ही मानते रहे.

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राहुल की सभा में जब खाट लेकर भागे थे लोग
राहुल गांधी ने सितंबर के महीने में देवरिया में पहली खाट सभा करने पहुंचे थे. वहां सभा के बाद लोग खाट लेकर ही भाग निकले थे. वहां रुद्रपुर के लिए दिल्ली से 2 हजार खाटें मंगवाई गई थीं. स्पीच खत्म करने के बाद राहुल के रवाना होते ही खाट लूटने के लिए अफरातफरी मच गई थी. कोई सिर पर खाट लेकर भागा तो कोई उसके पाए तोड़कर ले गया. लोग बाइक और ऑटोरिक्शा पर खाट लेकर जा रहे थे.

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