
यूपी विधानसभा में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा. नारे लिखे गए, यूपी को ये साथ पसंद है. दोनों को यूपी के लड़के भी बताया गया. वहीं पीएम मोदी को बाहरी कहा गया. अखिलेश यादव का जोर भी इस बात पर रहा कि ये गठबंधन दो कुनबों का नहीं, दो युवाओं का है.
अखिलेश और राहुल का पूरा फोकस यूथ वोटर पर रहा. अखिलेश ने करीब 18 लाख लैपटॉप बांटे. साथ ही 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में युवाओं को स्मार्टफोन देने का वादा किया.
अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने घोषणा पत्र के बाद एक 10 सूत्रीय संकल्प पत्र भी जारी किया. इस साझा संकल्प पत्र में अखिलेश और राहुल ने राज्य के 20 लाख युवाओं को रोजगार के लिए ट्रेनिंग देने का वादा भी किया. अपनी रैलियों में राहुल ने युवाओं को रोजनगार से जोड़ने पर जोर दिया.
Assembly Election Results 2017: चुनाव नतीजों की विस्तृत करवेज Liveपार्टी यूथ विंग को तरजीह
आम युवा वोटरों के अलावा अखिलेश ने पार्टी में भी युवाओं को तरजीह दी. चाचा शिवपाल से विवाद के दौरान मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड समेत पार्टी की दूसरी यूथ विंग के नेताओं को बर्खास्त किया गया. इन युवा नेताओं पर अखिलेश के समर्थन करने की वजह से कार्रवाई की गई. लेकिन पार्टी की कमान संभालने के तुरंत बाद अखिलेश ने युवा नेताओं को फिर से जिम्मेदारी दे दी.
नहीं चला डिंपल का जादू
चुनावी रैलियों में भले ही डिंपल यादव का जादू देखने को मिला हो. लेकिन मतदान में पार्टी की विफलता कुछ और ही कहती है. माना जा रहा था अखिलेश भैय्या और डिंपल भाभी की जोड़ी यूपी में युवाओं और महिलाओं के सपनों को साकार करेगी. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ.
अखिलेश-राहुल के गठबंधन के बाद पार्टी ने नारा दिया था, 'यूपी को ये साथ पसंद है'. अखिलेश ने अपनी रैली में कहा था, जितने युवाओं ने स्मार्टफोन के लिए रजिस्ट्रेशन कराए हैं, अगर वो सब भी वोट देंगे तो यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी. मगर नतीजें देखकर लगता है कि यूपी को ही नहीं, यूथ को भी ये साथ पसंद नहीं है.