
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की रजत जयंती के मौके पर पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काम को काफी सराहा. उन्होंने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में गरीब और किसानों की आवाज उठाई है. वहीं शिवपाल ने खुद को पार्टी का सबसे भरोसेमंद कार्यकर्ता बताया.
सपा की रजत जयंती कार्यक्रम से जुड़े 10 बड़ी बातें
1. समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह के कर्ताधर्ता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर शिवपाल यादव थे, लेकिन सबसे ज्यादा तालियां बटोरी अखिलेश यादव ने. पांडाल के भीतर भी शिवपाल और अखिलेश के समर्थक अलग-अलग खेमों में बैठे थे. जितनी बार जिस नेता का नाम आता था उतनी बार उसके गुट के लोग तालियां बजाते थे.
2. शिवपाल यादव ने अपनी कुर्सी माइक के करीब रखी थी ताकि समारोह पर पूरा नियंत्रण बना रहे. वह बीच-बीच में उठकर स्थिति का जायजा लेते थे. जब राज्यमंत्री जावेद आब्दी ने अखिलेश यादव की शान में कसीदे पढ़ना शुरू किया तो फौरन शिवपाल यादव ने उनसे माइक छीन लिया.
3. मंच पर घोषणा हुई कि शिवपाल यादव मुख्यमंत्री को शॉल और तलवार भेंट करेंगे. लेकिन शिवपाल ने सुनकर अनसुना कर दिया तो गायत्री प्रजापति ने उनकी जगह तलवार और शॉल मुख्यमंत्री को भेंट की.
4. शिवपाल यादव और अखिलेश यादव दोनों अपनी-अपनी तलवार को लहराते हुए जब अगल-बगल खड़े थे तब लोगों को खूब मजा आया और उन्होंने खूब तालियां और सीटी बजाई.
5. पूरी रैली का सबसे मजेदार नजारा वो था जब लालू यादव ने शिवपाल और अखिलेश दोनों को खींचकर साथ लाए और अगल-बगल में खड़ा कर दिया. जब दोनों ने अपने हाथ में पकड़ी तलवार को हवा में ऊपर करके लहराया तो भीड़ ने खूब तालियां बजाई.
6. शिवपाल यादव ने खूब इमोशनल भाषण दिया और कहा कि वह हर कुर्बानी को तैयार हैं और यहां तक कि खून भी देने को तैयार हैं. अखिलेश यादव ने जवाब देने में संयम बरता लेकिन इतना जरूर कह दिया कि समाजवादी उन्हें तलवार भेंट करते हैं और चाहते हैं कि तलवार चले भी नहीं.
7. मंच पर जनता परिवार के कई ऐसे पुराने दिग्गज जमा थे जो खुद हमेशा आपस में लड़ते रहे और कभी एक नहीं हो सके. लेकिन अखिलेश और शिवपाल को झगड़ा भूलकर एक होने की नसीहत देने में कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता था.
8. पार्टी के 25 साल पूरे होने पर मुलायम सिंह ने तमाम जनता परिवार के नेताओं को तो बुला लिया. लेकिन पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक आजम खान का कहीं अता-पता नहीं था. पार्टी और परिवार में घमासान के बीच में आजम खान लगातार लखनऊ से बाहर रहे हैं और फिलहाल वह उमरे के लिए गए हुए हैं.
9. मुलायम सिंह यादव कभी अजीत सिंह से इतना चिढ़ते थे कि उनका नाम तक नहीं लेते थे. लेकिन आज वह अखिलेश और मुलायम के बीच में बैठे थे और लगातार दोनों से बातें कर रहे थे. मंच पर सबसे अलग-थलग और अकेले दिख रहे थे बेनी प्रसाद वर्मा जो चुपचाप एक किनारे पर बैठे थे. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अखिलेश और शिवपाल के बीच सुलह कराने की पहल की थी जो कामयाब नहीं हुई.
10. समाजवादी पार्टी की स्थापना लखनऊ की बेगम हजरत महल पार्क में हुई थी जो एक ऐतिहासिक पार्क है और वहां अब रैली पर बैन है. आज रजत जयंती समारोह पर रैली लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में हुई जो शहर का सबसे खूबसूरत और विशाल पार्क है. लेकिन रैली में आई भीड़ ने इस पार्क का सत्यानाश कर दिया. हर ओर गंदगी फैल गई, तमाम पौधे कुचल दिए गए और कई लोग पार्क में ही शौच करते हुए देखे.