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RTI कार्यकर्ताओं पर हमले और हत्याओं के मामले में यूपी दूसरे स्थान पर

आरटीआई एक्टिविस्ट ने इस मामले को लेकर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी. जिसमें यह बात सामने आई है कि देश में अब तक 315 से अधिक आरटीआई आवेदकों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं. जिनमें से 63 हमले महाराष्ट्र में हुए और 40 हमले उत्तर प्रदेश में हुए हैं.

RTI कार्यकर्ताओं पर हमले के मामले में यूपी दूसरे स्थान पर RTI कार्यकर्ताओं पर हमले के मामले में यूपी दूसरे स्थान पर
सना जैदी/अनूप श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 24 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 2:00 AM IST

आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न और हत्याओं के मामले में महाराष्ट्र पहले स्थान पर तो यूपी दूसरे स्थान पर है. एक आरटीआई के माध्यम से इसका खुलासा हुआ है.

दरअसल एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने इस मामले को लेकर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी. जिसमें यह बात सामने आई है कि देश में अब तक 315 से अधिक आरटीआई आवेदकों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं. जिनमें से 63 हमले महाराष्ट्र में हुए और 40 हमले उत्तर प्रदेश में हुए हैं. आरटीआई कार्यकर्ताओं पर बढ़ रहे मामलो में यूपी दूसरे स्थान पर है.

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लखनऊ की रहने वाली सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने आरटीआई कार्यकर्ताओं के ऊपर बढ़ रहे हमलों को लेकर सूचना मांगी थी. उर्वशी का कहना है कि आरटीआई एक्ट जन-साधारण का एक्ट है जिसे देश के प्रत्येक नागरिक द्वारा सरलता से प्रयोग के लिए बनाया गया है. लेकिन भ्रष्ट तंत्र ने धीरे-धीरे इस एक्ट को भी कानूनी लफ्जों के मकड़जाल में उलझा दिया है.

उर्वशी का कहना है कि अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि जन सूचना अधिकारियों से लेकर सूचना आयुक्त तक सभी इस कोशिश में लगे हैं कि कौन सा गैरकानूनी तरीका अपनाकर सूचना को सार्वजनिक करने से रोका जाए. उर्वशी के अनुसार आज हालात ऐसे हो गए हैं कि लोक प्राधिकरणों के भ्रष्टाचार एवं अनियमितताएं छुपाने के लिए जनसूचना अधिकारी सही सूचना देने की जगह कुछ भी लिखकर भेज देता है.

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भ्रष्टाचार का चश्मा पहने प्रथम अपीलीय अधिकारी तो अपने फैसलों में विवेक का इस्तेमाल कर आरटीआई एक्ट के प्राविधानों के अनुसार फैसला नहीं कर रहे हैं. लेकिन सूचना आयुक्त तो इससे भी आगे जाकर अपने सूचना दिलाने के दायित्वों का निर्वहन करने के स्थान पर आरटीआई आवेदक को 'तारीख पर तारीख' के मकड़जाल में उलझाकर लोकसेवकों और आरटीआई आवेदक का उत्पीड़न कर रहे हैं. इनमें से अनेकों मामलों में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं को हतोत्साहित करने के लिए 315 से अधिक पर हमले भी कराए गए और 50 से ज्यादा लोगों की हत्या भी हुई है.

RTI कार्यकर्ताओं पर हमले के मामले में यूपी दूसरे स्थान पर
उर्वशी ने बताया कि देश में अब तक 315 से अधिक आरटीआई आवेदकों पर जानलेवा हमले या गंभीर उत्पीड़न की घटनाएं हो चुकी हैं. जिनमें 63 हमलों के साथ महाराष्ट्र प्रथम स्थान पर है तो 40 ऐसे मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है. 39 मामलों के साथ गुजरात तीसरे स्थान पर है तो वहीं 23 हमलों के साथ दिल्ली का चौथा स्थान है. हमलों के 22 मामलों के साथ कर्नाटक पांचवें स्थान पर तो 15 मामलों के साथ आंध्र प्रदेश छठे स्थान पर है. 14-14 मामलों के साथ बिहार और हरियाणा सातवें स्थान पर हैं. 12 मामलों के साथ ओडिशा आठवें स्थान पर तो 9 मामलों के साथ पंजाब नौवें स्थान पर है. 8 मामलों के साथ तमिलनाडु दसवें स्थान पर है. बकौल उर्वशी आरटीआई आवेदकों पर हुए जानलेवा हमलों के ये मामले देशव्यापी हैं. भारत के उत्तर में जम्मू-कश्मीर से दक्षिण के तमिलनाडु तक और पूर्व के असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा से पश्चिम के गुजरात तक सभी राज्यों में ये हमले हो चुके हैं.

 

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उर्वशी ने बताया कि हाल के 11 वर्षों में देश में 50 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. महाराष्ट्र में 12 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है, इसके बाद 8-8 हत्याओं के साथ उत्तर प्रदेश और गुजरात हैं. 5 हत्याओं के साथ बिहार तीसरे स्थान पर और 4 हत्याओं के साथ कर्नाटक चौथे स्थान पर है.

एनजीओ ने शुरू किया भ्रष्ट सूचना आयुक्त का सर्वे
लखनऊ की एनजीओ एक ऐसा अनोखा सर्वे करा रही है. जिसमें यूपी में काम कर रहे सूचना आयुक्तों में सबसे बेकार सूचना आयुक्त का पता लगाया जाएगा. बाद में उसे पद से हटाने के लिए यूपी के राज्यपाल से गुहार लगाई जाएगी. बताते चलें कि यूपी में राज्य सूचना आयोग में मौजूदा समय में कार्यरत मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा 9 सूचना आयुक्त काम कर रहे हैं. यह अनूठा सर्वे सामाजिक संस्था येश्वर्याज सेवा संस्थान करा रहा है.15 साल पुरानी संस्था के जरिए ही सबसे खराब आयुक्त ढूंढ़ने के लिए लोगों से फॉर्म भरवाए जाएंगे. इसमें से सबसे बेकार काम करने वाले सूचना आयुक्त का चयन किया जाएगा.

 

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