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INSIDE STORY: क्यों और कैसे हिंसा की आग में सुलगा यूपी का कासगंज

26 जनवरी को सुबह करीब 10 बजे ABVP से जुड़े करीब 100 युवा बाइकों पर तिरंगा यात्रा निकालते हैं. इसी दौरान उनका काफिला बलराम गेट इलाके की तरफ पहुंचता है, जो मुस्लिम बाहुल्य है.

हालात अब भी तनावपूर्ण हालात अब भी तनावपूर्ण
जावेद अख़्तर
  • कासगंज,
  • 28 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

उत्तर प्रदेश का कासगंज हिंसा की आग में झुलस रहा है. गणतंत्र दिवस के मौके पर एक युवक की मौत के विरोध में गुस्से का जो ज्वार फूटा, उसने दुकान, मकान, झोपड़ी और वाहन सबकुछ जलाकर राख कर दिया. तनावपूर्ण हालात के बीच कर्फ्यू भी लगा दिया गया, बावजूद इसके उपद्रवियों का तांडव जारी है.

शुक्रवार यानी 26 जनवरी को जब पूरा देश और दुनिया के 10 देशों के नेता दिल्ली में राजपथ पर भारत की आन, बान और शान के नमूने देख रहे थे. उसी दौरान यूपी के कासगंज में हिंसा की चिंगारी फैल गई. जिसने एक नौजवान की जान ले ली और पूरे शहर में खौफ का माहौल पैदा हो गया.

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क्यों और कैसे शुरू हुआ फसाद

26 जनवरी

सुबह करीब 10 बजे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े करीब 100 युवा बाइकों पर तिरंगा यात्रा निकालते हैं. इसी दौरान उनका काफिला बलराम गेट इलाके की तरफ पहुंचता है, जो मुस्लिम बाहुल्य है. यहां मौजूद नौजवानों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बीच कहासुनी हो जाती है.

- आरोप है कि ये कहासुनी वंदे मातरम कहना होगा और पाकिस्तान से जुड़े नारों को लेकर हुई.

- इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच गहमागहमी इतनी बढ़ गई कि इलाके के लोग जमा होने लगे. कुछ ही मिनटों में बड़ी संख्या में बलराम गेट इलाके के लोग जमा हो गए.

- इसके बाद बाइकों पर आए छात्र नेताओं को वहां से भागना पड़ा. हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए.

- इसी खींचतान के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई और फायरिंग भी हुई. जिसमें वहां मौजूद चंदन गुप्ता नाम के युवक को गोली लग गई. बी-कॉम थर्ड ईयर के छात्र चंदन को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

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- पत्थरबाजी में नौशाद नाम का युवक भी घायल हो गया, जबकि कई और युवकों भी चोटें आईं.

मौत के बाद हंगामा

चंदन की मौत के बाद दोपहर में ही पूरे शहर की फिजा बदल गई. मौत के विरोध में बड़ी संख्या में भीड़ सड़कों पर उतर आई और तोड़फोड़ के साथ आगजनी भी शुरू कर दी.

- दुकानों और वाहनों को आग लगा दी गई.

- चंदन के परिवार ने शहीद का दर्जा देने की मांग की और ऐसा न होने तक अंतिम संस्कार नहीं करने की चेतावनी दी.

- शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया.

- पुलिस के आला अफसर भी शाम होते कासगंज पहुंच गए.

शनिवार, 27 जनवरी

सुबह 9 बजे- परिवार और दूसरे लोग चंदन का अंतिम संस्कार न करने पर अड़े थे. जिसके बाद शनिवार सुबह 9 बजे दाह संस्कार किया गया.

सुबह 10 बजे- दाह संस्कार होते ही फिर हिंसा भड़क गई. एक बस को लगा दी गई.

सुबह 11 बजे- इसके बाद उपद्रवियों ने एक दुकान को आग के हवाले कर दिया.

सुबह 11.30 बजे- विरोध प्रदर्शन कर रही भीड़ को पुलिस ने खदेड़ा.

दोपहर 2 बजे- चंदन का दाह संस्कार होने के बाद दोपहर होते-होते कासगंज के अलग-अलग इलाकों में 5 दुकानों और 4 बसों को आग के हवाले कर दिया गया.

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शाम 4 बजे- शाम को फिर हिंसा भड़की और 1 बस के साथ 1 दुकान में आग लगा दी गई.

रात 9 बजे- एक मेडिकल स्टोर पर पेट्रोल बम फेंका गया और एक कार को आग में आग लगा दी गई.

रविवार, 28 जनवरी

सुबह 8 बजे- धारा 144 और भारी सुरक्षाबल की तैनाती के बावजूद एक दुकान में आग लगा दी गई.

SP ने बताई हिंसा की वजह

आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में कासगंज के SP सुनील सिंह ने कहा है कि घटना के पीछे साजिश की बू आ रही है. उन्होंने कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसके पीछे राजनीतिक साज़िश हो सकती है. उन्होंने कहा, 'कुछ लोग बाइक पर तिरंगा रैली कर रहे थे. एक खास जगह पहुंचने के बाद उन्होंने कुछ भड़काऊ नारेबाजी की जिसके बाद बात बढ़ी.

हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि 26 तारीख की घटना तुरंत झगड़े की वजह से हुई. इसके पीछे साजिश नहीं थी.

धारा 144 लागू, इंटरनेट बंद

शुक्रवार से ही कासगंज में धारा 144 लागू है. साथ ही तीसरे दिन भी हालात तनावपूर्ण होने के चलते रविवार रात 10 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है.

डीएम का बयान

एटा के डीएम आरपी सिंह ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि इस हिंसा के पीछे कुछ लोग हैं और उनमें से कुछ लोगों को चिन्हित कर लिया गया है. उन्होंने बताया कि आगजनी या तोड़फोड़ की किसी घटना में कोई घायल नहीं हुआ है.

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हिंसा के पीछे साजिश के सवाल पर उन्होंने आशंका जताई कि ऐसा हो सकता है, लेकिन मुझे इसकी जानकारी नहीं है. डीएम ने बताया कि अब तक 50 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है. इनमें 9 के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है.

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