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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी की सरकार अपनी छवि सुधारने की कवायद में जुट गई है. लखनऊ में पार्टी की टिकट से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे कुख्यात भू-माफिया विजय बहादुर यादव की गुंडई पर सीएम के निर्देश के बाद न सिर्फ एफआईआर दर्ज हुई, बल्कि उन्हें सपा से बर्खास्त भी कर दिया गया है.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विजय बहादुर यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया है. राजधानी के चिनहट इलाके के गांव बाघामऊ में गुरुवार को असलहों और लाठी-डंडों से लैस विजय बहादुर यादव और उसके गुर्गों ने कुछ लोगो पर जमकर कहर बरपाया था. इसमें एक दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गये थे.
कार्यकर्ताओं पर बिफरे मुलायम
गौरतलब है कि शुक्रवार को ही पार्टी कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम मे मुलायम सिंह यादव ने मंच से कहा है कि पार्टी के कुछ कार्यकर्ता दबंगई और जमीन कब्जाने जैसे अवैध कामों मे लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इससे पार्टी की छवि प्रभावित हो रही है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, लखनऊ में सपा के कुछ नेताओं की दबंगई और भू-माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह अभिलेखों में दर्ज जमीन को भी कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे. ऐसा ही एक मामला चिनहट इलाके का है, जहां बाघामऊ गांव में जमीनी विवाद में सपा के जिला पंचायत सदस्य विजय बहादुर यादव और ग्राम प्रधान ने हिस्ट्रीशीटर समेत 100 से अधिक गुंडों के साथ मिलकर पीड़ितों को असलहों की बट, लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से हमला कर दिया.
मुख्यमंत्री ने दोनों को किया बर्खास्त
विजय बहादुर यादव को पुलिस ने शुक्रवार सुबह गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तारी के बाद उन्हें कैंट थाने लाया गया. उनकी पत्नी माला भी जिला पंचायत अध्यक्ष है. विजय की गुंडागर्दी की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दोनों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया.