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योगी सरकार से क्यों खफा है कमलेश तिवारी का परिवार ?

अखिलेश यादव की सरकार में कमलेश तिवारी को 17 सुरक्षाकर्मी मिले थे, जो कम होते-होते आठ तक पहुंच गए थे. योगी की सरकार में यह संख्या चार तक पहुंच गई. दो साथ चलते थे और दो कार्यालय में रहते थे. कुसुम तिवारी ने कहा कि जिस दिन कमलेश की हत्या हुई, उस दिन एक भी सुरक्षाकर्मी उनके साथ नहीं था.

सीएम के साथ कमलेश तिवारी के परिजन (फोटो-पीटीआई) सीएम के साथ कमलेश तिवारी के परिजन (फोटो-पीटीआई)
टीके श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST

  • नई नहीं है तिवारी परिवार की सरकार से नाराजगी
  • मां ने दबाव में सीएम से मिलवाने का लगाया था आरोप

लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या का केस यूपी पुलिस ने महज 24 घंटे के अंदर सुलझा लिया. गुजरात के सूरत से तीन आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो गई. डीजीपी ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके तिवारी के 2015 में पैगंबर साहब के खिलाफ आपत्तिजनक बयान को हत्या की वजह बताया.

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अगले ही दिन कमलेश तिवारी के परिजनों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात की और सरकारी नौकरी, आवास और सुरक्षा के लिहाज से शस्त्र लाइसेंस देने तक का वायदा किया. हालांकि इसके बावजूद कमलेश तिवारी का परिवार योगी सरकार से खुश नहीं है. तिवारी परिवार की सरकार से नाराजगी नई नहीं है. कमलेश खुद योगी सरकार पर हमलावर रहते थे और अब उनकी मां भी सीएम से मुलाकात के बावजूद योगी सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूक रहीं हैं.

मुलाकात के बाद सीएम को बताया बड़ा बेटा

हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की मां ने रविवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद उन्हें बड़ा बेटा बताया था. हालांकि अपने पैतृक स्थान पहुंचते ही वह पलट गईं. रविवार को कमलेश तिवारी की मां कुसुम तिवारी, पत्नी किरण तिवारी और बेटे ने सीएम योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मुलाकात की. तब कुसुम तिवारी ने कहा था 'मुख्यमंत्री से मिले, हम अपने बड़े बेटे से मिले. उन्हें बहुत दिन से बड़े बेटे के रूप में हम देख रहे हैं. बहुत अच्छा लगा. हमने उनसे मांग की है कि हमें न्याय मिलना चाहिए जो दोषी हैं, उनको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. मैं इतना ही बोलना चाहती हूं. इससे अधिक कुछ नहीं कहूंगी.'

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घर पहुंचीं तो कहा- दबाव में सीएम से मिलना पड़ा 

हालांकि जब कुसुम तिवारी घर पहुंचीं तो वो पलट गईं. उन्होंने कहा कि पुलिस के दबाव में उन्हें मुख्यमंत्री योगी से मिलना पड़ा. उन्होंने कहा, 'हिंदू धर्म में किसी की मौत के बाद 13 दिन तक कोई सदस्य घर से बाहर नहीं जाता, लेकिन यहां पर पुलिस हमारे पीछे पड़ी थी. हमारी इच्छा के मुताबिक उनका (मुख्यमंत्री) हाव-भाव भी नहीं था. मीडिया के सवाल पर कुसुम तिवारी ने कहा कि अगर हम संतुष्ट होते तो इतना क्रोध क्यों उबलता. अगर हमें इंसाफ न मिला तो हम खुद तलवार उठाएंगे. जैसे-तैसे मैं खुद बदला लूंगी.' इस बयान से पहले कुसुम तिवारी ने बीजेपी के एक स्थानीय नेता से रंजिश की बात भी कही थी और उसे ही कमलेश की हत्या का जिम्मेदार बताया था.

कमलेश की सुरक्षा घटने से नाराज था परिवार

शनिवार को कुसुम तिवारी ने अपने बेटे की हत्या के लिए पूरी योगी सरकार को जिम्मेदार बताया और कहा कि योगी सरकार में कमलेश की सुरक्षा लगातार कम की गई. अखिलेश यादव की सरकार में कमलेश को 17 सुरक्षाकर्मी मिले थे. जो कम होते-होते आठ तक पहुंच गए थे. योगी की सरकार में यह संख्या चार तक पहुंच गई. दो साथ चलते थे और दो कार्यालय में रहते थे. कुसुम तिवारी ने कहा कि जिस दिन कमलेश की हत्या हुई, उस दिन एक भी सुरक्षाकर्मी उनके साथ नहीं था. खुद कमलेश का भी एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो योगी सरकार के खिलाफ गुस्सा दिखाते हुए कह रहे हैं कि बीजेपी नेता उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं, उनकी सुरक्षा योगी सरकार ने हटा दी है लेकिन वो बीजेपी के हर कार्यकर्ता पर हुए हमले के खिलाफ आवाज उठाते हैं.

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नौकर ने भी उठाए थे सुरक्षा पर सवाल

कमलेश तिवारी के नौकर स्वराष्ट्रजीत सिंह ने भी घटना के बाद कहा था कि जब हमलावर दफ्तर आए तो उस वक्त सिक्योरिटी गार्ड सोया हुआ था. बूढ़ा गार्ड सुरक्षा में लगाया गया था जो सिर्फ आकर सोता रहता था. कमलेश के घर हमलावर आए, आधा घंटा बैठे और हत्या कर चले गए लेकिन गार्ड को पता तक नहीं चला. नौकर जब बाजार से लौटा तब उसने कमलेश को खून से लथपथ पाया.

'सुरक्षा दी होती तो नहीं होती घटना

कमलेश की मां ने प्रशासन पर गद्दारी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन ने कमलेश को सुरक्षा दी होती तो यह घटना नहीं होती. कुसुम ने कमलेश की पत्नी और बच्चों को सुरक्षा दिए जाने की मांग की और पुलिस पर घटना के दिन रात 2 बजे तक बॉडी नहीं देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पुलिसवाले हमें गुमराह करते रहे. हम बॉडी को कार्यालय ले जाने को बोल रहे थे, वह सीतापुर ले जाने को कह रहे थे. दारोगा ने लाठीचार्ज भी किया, जिसमें कई लोगों को चोट भी आई. परिवार चाहता था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मौके पर आएं तभी कमलेश का अंतिम संस्कार किया जाए लेकिन बाद में अफसरों ने समझा-बुझाकर उन्हें अंतिम संस्कार के लिए राजी किया.

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