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यूपी पुलिस को परमवीर चक्र विजेता से शांति भंग की आशंका

यूपी पुलिस ने देश के एक बहादुर सैनिक को शांति भंग की आशंका में मुचलका पाबंद कर दिया है. परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव यह सम्‍मान पाने वाले एकमात्र जीवित सैनिक हैं. परिजनों का कहना है कि पुलिस ने जिस मामले में यह कार्यवाही की है उस दौरान योगेन्‍द्र ड्यूटी पर थे.

परमवीर चक्र विजेता योगेन्‍द्र सिंह यादव परमवीर चक्र विजेता योगेन्‍द्र सिंह यादव
aajtak.in
  • बुलंदशहर,
  • 19 अगस्त 2014,
  • अपडेटेड 8:55 PM IST

यूपी पुलिस के भी क्‍या कहने हैं. याद कीजिए तो यह वही यूपी है जहां कभी अपराध होने के बावजूद पुलिस एफआईआर तक लिखने को राजी नहीं होती, वहीं अब वह बहादुर सैनिक को शांति भंग की आशंका में लपेटने की तैयारी कर रही है. आश्‍चर्य, लेकिन सच की यह गाथा बुलंदशहर के थाना गुलावठी की है. यहां देश के गौरव बने परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव और उनके तीन भाइयों को पुलिस ने शांति भंग की आशंका में मुचलका पाबंद कर दिया है. खास बात यह है कि कार्यवाही के बाद पुलिस अपने कारनामे पर खुद ही मुंह छुपा रही है.

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बता दें कि परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़े थे. यही नहीं, योगेन्द्र सिंह यादव भारत में अकेले जीवित परमवीर चक्र विजेता भी हैं, लेकिन गुलावठी पुलिस को आशंका है कि योगेन्‍द्र सिंह समेत उनके तीन भाई एक जमीन विवाद में शांति भंग कर सकते हैं. ऐसे में पुलिस ने सीआरपीसी 107/7 की कार्यवाही कर मुचलका पाबंद कर दिया है. नोटिस के कारण 22 अगस्त को योगेन्द्र सिंह और उनके तीनो भाइयों को एसडीएम के समक्ष पेश होना है. योगेन्द्र सिंह के परिजनों का आरोप है कि जिस समय के जमीन विवाद पर कार्यवाही की गई है, उस समय योगेन्द्र ड्यूटी पर तैनात थे.

क्‍या है पूरा मामला
योगेन्द्र सिंह के भाई रामबल सिंह ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि गांव औरंगाबाद अहीर में गाटा नंबर 392 में योगेन्द्र सिंह के परिवार की जमीन थी. इस पर गांव के ही जयभगवान यादव और कुछ अन्‍य ने लगभग 0.104 हैक्टेयर भूमि पर अपना कब्जा कर आबादी होने का दावा किया था. मामला एसीओ के न्यायालय में विचाराधीन है. आरोप है कि मामले को लेकर गुलावठी पुलिस से बिना जांच पड़ताल के योगेन्द्र सिंह यादव, जितेन्द्र यादव व देवेन्द्र यादव पुत्र रतीराम को मुचलका चालानी रिपोर्ट एसडीएम कोर्ट भेज पाबंद करवा दिया.

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खास बात यह भी है कि मंगलवार को तहसील दिवस के दौरान जब प्रशासनिक अधिकारियों से प्रकरण की जानकारी लेनी चाही, तो सदर एसडीएम विवेक श्रीवास्तव ने साफ कह दिया कि उन्‍हें मामले में बोलने का अधिकार नहीं है. सर्किल अफसर शैलेन्‍द्र सिंह राठौर भी मीडियाकर्मियों पर भड़ास निकालते नजर आए, जबकि मामले में उन्‍हीं के थानाक्षेत्र की पुलिस ने एसडीएम को नोटिस जारी करने की संस्तुति की थी.

क्‍या है मुचलका पाबंद
तहसील कर्मियों ने बताया कि नियम के तहत शांति भंग का अंदेशा होने पर पुलिस नोटिस बनाकर भेजती है. नोटिस के बाद संबंधित व्‍यक्ति 6 महिने के लिए बाउंड हो जाता है. इस दौरान यदि दोनों पक्ष तारीख करते हैं या झगड़ा करते हैं तो उन्‍हें जेल जाना पड़ सकता है.

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