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पति-पत्नी के बीच कलह से टूट रहे 'घरों' को बचाने के लिए यूपी पुलिस ने नई पहल की है. नाजुक रिश्तों के बीच पुलिस अब कड़े हस्तक्षेप के बजाए नरम रुख अख्तियार करेगी और सुलह को बार-बार मौका देगी.
परामर्श केंद्र महिला की भावनाओं का ख्याल रखते हुए उसकी सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त करने के साथ यह एहतियात बरतेंगे कि बिगड़ी बात बन जाए. अब हर महिला थाने में परिवार परामर्श केंद्र बनाया जाएगा और दो महिला पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इस कार्य में समाजसेवियों की भी मदद ली जाएगी.
डीजीपी एएल बनर्जी ने यह व्यवस्था सौंपते हुए सभी अधिकारियों को आगाह किया है कि महिलाओं के साथ संज्ञेय अपराध घटित होने पर आवश्यक है कि विधि के अनुसार पति व उसके परिवार के नामित सदस्यों के विरुद्ध कार्रवाई हो, वहीं यह भी समझना आवश्यक है कि पति और उसके परिवार की गिरफ्तारी के बाद महिला का उसी परिवार में सामंजस्यपूर्ण जीवन व्यतीत करना असंभव सा होगा. यदि संवेदनशील दृष्टिकोण से दोनों के बीच मध्यस्थता की जाए तो एक नया रास्ता मिल सकता है.
परिवार परामर्श केंद्रों में महिलाओं के लिए काम करने वाली समाजसेवी संस्थाओं के जरिए एक-एक समाज सेवी महिला और पुरुष सदस्य को नामित किया जाएगा. यदि संस्थाओं से ऐसे लोग नहीं मिलते तो दो महिला पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण के बाद इस कार्य में लगाया जाएगा. प्रशिक्षण सीबीसीआईडी मुख्यालय के स्थापित परिवार परामर्श केंद्र से दिलाने के निर्देश दिए गए हैं.
प्रशिक्षित महिला पुलिसकर्मी को यह भी हिदायत है कि कलह सुलझाते समय वह सादे कपड़ों में रहेगी. प्रकरण में सुलह के बाद उसका लिखित रूप में पत्रवली में रखा जाएगा. बहुत पेचीदा मामला होने पर उसे सीबीसीआईडी मुख्यालय संदर्भित किया जाएगा. मध्यस्थता के लिए केंद्रों को दो माह का मौका रहेगा.