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बिटिया ने निभाया बेटे का फर्ज, मां को दिया कंधा-किया अंतिम संस्कार

हमारे समाज में बेटे-बेटी में भेदभाव की तमाम कहानियां सामने आती रहती हैं,  वहीं एक बेटी ने कुछ ऐसा किया है जो पूरे समाज के लिए मिसाल बन गया है.

मां की चिता के पास खड़ी प्रेमवती मां की चिता के पास खड़ी प्रेमवती
IANS
  • नई दिल्‍ली,
  • 18 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

बेटियां, बेटों से कम नहीं होतीं. इस बात की मिसाल है उत्‍तर प्रदेश की एक ऐसी बेटी, जिसने अपनी मां का अंतिम संस्‍कार किया. उत्तर प्रदेश के संभल के सरायतरीन के एक मोहल्ले में जीवित रहने पर मां को जब उसके बेटे ने घर से निकाल दिया तो मां को अपने पास रख देखभाल करने वाली बेटी ने ही मां की मृत्यु के बाद भी अंतिम यात्रा में कंधा दिया और मां को मुखाग्नि दी.

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क्‍यों ऐसा हुआ
दरअसल संभल के सरायतरीन के एक मोहल्ला नवाब खेल निवासी बसंती अपनी विधवा बेटी प्रेमवती के साथ अलग मकान में रहती थी, जबकि बेटा अलग मकान में रहता था. प्रेमवती के भाई ने मां को उम्र के अंतिम पड़ाव पर घर से बाहर निकाल दिया था. मां को घर से निकाल दिए जाने के बाद बेटी ने मां को अपने पास रखा और बेटी ही मां की सेवा करती रही. बीती 14 अप्रैल को बसंती की मौत हो गई. मौत की जानकारी पर इलाके के लोगो ने प्रेमवती के भाई को खबर दी.

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अंतिम समय में मां को घर से निकाल देने वाले भाई के ना पहुंचने पर प्रेमवती ने मां का अंतिम संस्कार खुद करने की ठानी. रिश्तेदारों के विरोध के बावजूद प्रेमवती ने अंतिम यात्रा में मां के शव को कंधा दिया और अंतिम संस्कार की हर रस्म पूरी की.

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