
उत्तर प्रदेश अवैध खनन के सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला समेत अन्य पर शिकंजा कसता जा रहा है. अब मामले में ED ने आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला समेत चार लोगों को नोटिस जारी किया है. ईडी की टीम इस मामले में पूर्व जिलाधिकारी बी चंद्रकला समेत 4 लोगों से पूछताछ करेगी. जांच एजेंसी ने समाजवादी पार्टी के विधायक रमेश को भी पूछताछ के लिए बुलाया है. इन सभी से अगले सप्ताह पूछताछ होगी.
इससे पहले ED आईएएस अधिकारी चंद्रकला समेत अन्य आरोपियों के ठिकानों में छापेमारी भी कर चुकी है. साथ ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया है. जांच एजेंसी इस मामले में पैसे के लेन-देन का पता लगाने में जुटी हुई है. साथ ही इस बात की जांच की जा रही है कि क्या इन मामलों में रिश्चत के रूप में कथित तौर पर प्राप्त कालेधन को आरोपियों ने सफेद तो नहीं किया है.
इस खनन मामले को लेकर ईडी ने आईएएस अधिकारी चंद्रकला समेत अन्य आरोपियों के ठिकानों में छापेमारी भी कर चुकी है. इस दौरान कई दस्तावेज, सोना और पैसा समेत चीजों को जब्त किया गया था. चंद्रकला बिजनौर, मेरठ, हमीरपुर और बुलंदशहर की जिलाधिकारी रह चुकी हैं. मामले में सपा विधायक रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन विभाग में क्लर्क आश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी, राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार के अलावा संजय दीक्षित को भी आरोपी बनाया गया है. संजय दीक्षित बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर साल 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था. इन सभी पर साल 2012 से 2016 के बीच अवैध खनन की अनुमति देने का आरोप है.
इससे पहले अवैध खनन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने आपराधिक केस दर्ज किया था. सीबीआई ने यह भी कहा था कि इस मामले में वह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कुछ नौकरशाहों की भूमिका की जांच कर रही है. इस महीने के शुरुआत में सीबीआई ने 11 लोगों के खिलाफ दर्ज मामले के सिलसिले में 14 स्थानों पर छापेमारी की थी.
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव साल 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और साल 2012 से 2013 तक खनन मंत्रालय उनके पास ही था. बताया जा रहा है कि ED उन 14 खनन टेंडर की जांच कर रही है, जिनको तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012-13 में मंजूरी दी थी. सूत्रों की माने तो ED अखिलेश यादव से भी अवैध खनन टेंडर मामले में पूछताछ कर सकती है. उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने साल 2012 से 2016 के दौरान कुल 22 टेंडर पास किए थे, जिनमें से 14 टेंडर अखिलेश यादव के खनन मंत्री रहते जारी किए गए. इसके अलावा टेंडर गायत्री प्रजापति के खनन मंत्री रहने के दौरान मंजूर किए गए थे. आरोप है कि इस दौरान खनन पर रोक के बावजूद टेंडर जारी किए और कानूनों की धज्जियां उड़ाई गई.