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शामली एनकाउंटर: कांस्टेबल अंकित की शहादत की कहानी, IPS अफसर की जुबानी

2 जनवरी की उस रात एनकाउंटर के दौरान क्या हुआ, पुलिस ने कैसे बदमाशों का पता लगाया, कैसे उन्हें घेरा यह पूरी दास्तां शामली के कप्तान IPS अधिकारी अजय शर्मा ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट के जरिए शेयर की हैं.

शामली में 2 जनवरी को हुए मुठभेड़ में कांस्टबेल अंकित शहीद हो गए थे शामली में 2 जनवरी को हुए मुठभेड़ में कांस्टबेल अंकित शहीद हो गए थे
पुनीत शर्मा/आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:32 AM IST

उत्तर प्रदेश के शामली में बीते सप्ताह पुलिस और बदमाशों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई थी, जिसमें कांस्टेबल अंकित तोमर शहीद हो गए थे. एनकाउंटर में पुलिस ने कुख्यात अपराधी साबिर को भी मार गिराया था. अंकित की शहादत का बदला लेते हुए UP पुलिस ने 48 घंटे के अंदर गैंग के एक और बदमाश इंतजार को धर दबोचा.

2 जनवरी की उस रात एनकाउंटर के दौरान क्या हुआ, पुलिस ने कैसे बदमाशों का पता लगाया, कैसे उन्हें घेरा यह पूरी दास्तां शामली के कप्तान IPS अधिकारी अजय शर्मा ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट के जरिए शेयर की हैं. अजय शर्मा का यह पोस्ट बताता है कि पुलिस के लिए अपनी टीम के किसी साथी को खोने का क्या मतलब होता है.

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अजय शर्मा अपने पोस्ट में लिखते हैं कि एक शाम को एक फ़ोन कॉल आता है और सूचना मिलती है कि एक बड़े दुर्दांत अपराधी की. इस अपराधी का गैंग 3 पुलिसकर्मियों की हत्या कर चुका था, जो पिछले 7 महीने से जेल ले जाते वक्त पुलिस कस्टडी से जनपद बाराबंकी से फरार हो गया था.

कुछ साल पहले एक व्यापारी से रंगदारी मांगी और न देने पर दो भाइयों की हत्या बीच बाजार कर फरार हो गए. अपने खिलाफ मुखबिरी करने वालों को मौत की नींद सुला दी. इस कुख्यात अपराधी के खिलाफ हत्या के 12 मुकदमों सहित कुल 68 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें 10 करोड़ की तनिष्क डकैती का केस भी शामिल है.

वह लिखते हैं, "जब सूचना मिली तब मैं एक संस्था के नववर्ष के कार्यक्रम में शरीक हो रहा था. उसे बीच में छोड़ा और तीन विश्वसनीय टीमों को एक जगह इकट्ठा किया. जब भी कोई पुलिसकर्मी कहीं दबिश देने जाता है तो उसके अंदर सिर्फ एक ही सोच होती है कि वो अपराधि जो समाज के लिए खतरा बना हुआ है किसी प्रकार उसको गिरफ्तार कर सके. उस वक़्त उसके लिए उसके परिवार से ज्यादा समाज होता है. अगर वो ऐसा न सोचें तो शायद वे कभी ऐसे अपराधियों को न पकड़ पाएं."

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अजय आगे लिखते हैं कि दबिश के लिए तैयारी की गई. रणनीति बनाई गई. मौके पर लगभग 10 बजे पहुंचे. अंधेरा हो चुका था. सभी ने अपनी पोजीशन ली. एक टीम जिसमें जांबाज़ सिपाही अंकित तोमर था, वो उस कमरे को कवर करने पहुंची और दोनों तरफ से गोलियां चलीं. अंकित के सिर में गोली लग चुकी थी. वह जमीन पर गिरा.

उस वक़्त शायद उसके मन में अपने माता-पिता व पत्नी, 4 साल की बच्ची और 4 माह के बेटे का खयाल जरूर आया होगा, क्योंकि शायद उन कुछ पलों के बाद उसके दिमाग की खून की सप्लाई बंद हो गयी थी. बदमाश के भी गोली लगी, लेकिन उसने कूदकर भागने की कोशिश की. जहां हम लोगों ने पोजीशन ले रखी थी. वहां गोलियां दोनों तरफ से चल रही थीं. गोलीबारी में बदमाश मारा गया, लेकिन मरते-मरते एक और जांबाज़ को घायल कर दिया. किस्मत से वह जांबाज़ सिपाही खतरे से बाहर आ चुका है.

वह बताते हैं कि अपने साथियों को हम लेकर हॉस्पिटल पहुंचे. अंकित की हालत गंभीर थी और 24 घंटे ज़िन्दगी-मौत के बीच संघर्ष करने के बाद वह शहीद हो गया. यह पुलिसकर्मी के कर्तव्य पथ पर चलते हुए सबसे बड़ा बलिदान था. अपनी टीम के सदस्य को खोना बहुत बड़ा नुकसान है.

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एक कप्तान के लिए अपने साथी के शव को कंधा देना वैसा ही है जैसे एक बाप अपने बेटे को. यह दुख महसूस करना बहुत भारी था. जैसे सब लड़ाइयां जीतकर हम एक जंग हार गए . ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दे. अपनी टीम के साथियों की याद में तुम हमेशा बने रहोगे अंकित.

बताते चलें कि 2 जनवरी को बदमाश साबिर से हुई मुठभेड़ में अंकित के सिर और छाती में गोली लग गई थी. दिमाग में गोली धंसने से वह कोमा में चले गए थे. उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया. देश के वरिष्ठ चिकित्सकों ने अंकित के ब्रेन में धंसी गोली निकालने के लिए भरसक प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सके.

बागपत में बड़ौत के वाजीदपुर निवासी अंकित साल 2011 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे. साल 2012 में उनकी शादी हुई थी. उनका पांच महीने का बेटा और चार साल की बेटी है. उनके पिता जयपाल ने बताया कि अंकित उनकी तीन संतानों में सबसे बड़े थे. उनकी एक छोटी बहन और एक भाई हैं.

IPS अफसर अजय शर्मा का यह पोस्ट मानवीय संवेदनाओं से भरा हुआ है और बताता है कि पुलिसकर्मी भी हाड़-मांस के बने आम इंसान हैं, जिन्हें अपने साथियों और इस समाज की चिंता रहती है. अजय शर्मा का यह पोस्ट बताता है कि पुलिस का एक अदना से अदना सिपाही किस तरह अपनी जान पर खेलकर इस समाज की हिफाजत करता है.

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ज्ञात हो कि 4 जनवरी को शामली पुलिस लाइन में हजारों लोगों की भीड़ में भारत माता की जय के नारों के बीच शहीद अंकित तोमर को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. यूपी सरकार ने शहीद अंकित तोमर के परिजनों को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीद सिपाही अंकित तोमर की वीरता और साहस की प्रशंसा करते हुए उनके परिजनों को आर्थिक सहायता दिए जाने की घोषणा की है.

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