Advertisement

अंबेडकर जयंती साबित होगा सपा-बसपा कार्यकर्ताओं का गठबंधन

बता दें कि उत्तर प्रदेश की सियासत में दलित मतदाता किंगमेकर की भूमिका में है. सूबे का 21 फीसदी दलित मतदाता प्रदेश से लेकर देश की सत्ता का फैसला करने में अहम भूमिका निभाता रहा है.

मायावती और अखिलेश यादव मायावती और अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

हर साल अंबेडकर जयंती पर रस्म अदायगी करने वाली समाजवादी पार्टी इस बार बाबा साहेब के प्रति प्रेम और सम्मान खुलकर जाहिर करने वाली है. दरअसल उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा को जो जीत का फॉर्मूला मिला है, उसे दोनों पार्टियां मजबूत बनाने की कोशिश कर रही हैं. इन्हीं कोशिशों के तहत सपा-बसपा दोनों ने 14 अप्रैल को अबंडेकर जयंती को सूबे के जिले, ब्लॉक और गांव स्तर पर मनाने की योजना बनाई है, ताकि दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच की दूरियां मिट सकें और एक मजबूत सामंजस्य स्थापित हो सके.

Advertisement

सपा के प्रवक्ता सुनील साजन ने aajtak.in से बातचीत करते हुए कहा कि सपा हमेशा से बाबा साहेब की जयंती मनाती रही है. इस बार पार्टी ने जिले से लेकर गांव स्तर पर 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती को बड़े स्तर पर मनाने का फैसला किया है. सपा-बसपा गठबंधन के बाद ये पहला कार्यक्रम है, जब दोनों पार्टी के कार्यकर्ता गांव से लेकर जिले तक एक साथ खड़े नजर आएंगे.

सुनील साजन ने कहा कि बीजेपी बहुत घाघ पार्टी है. सपा-बसपा का गठबंधन पचा नहीं पा रही है. दोनों पार्टियों की दोस्ती में बीजेपी दरार डालने की हरसंभव कोशिश करेगी. ऐसे में हमें सचेत रहने की आवश्यकता है. दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच एक बेहतर तालमेल बनाने की जरूरत है. इसके लिए बाबा साहेब की जयंती हमारे लिए सबसे बेहतर मौका है. सपा की कोशिश है कि अंबेडकर जयंती पर ज्यादा बड़ा कार्यक्रम करने से ज्यादा बूथ स्तर पर इसे किया जाए. दोनों पार्टी के नेता और कार्यकर्ता एक साथ आएं और अंबेडकर जी के विचारों और सिद्धांतों को समझें.

Advertisement

बता दें कि उत्तर प्रदेश की सियासत में दलित मतदाता किंगमेकर की भूमिका में है. सूबे का 21 फीसदी दलित मतदाता प्रदेश से लेकर देश की सत्ता का फैसला करने में अहम भूमिका निभाता रहा है. 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी दलित मतों में सेंधमारी करके ही देश और प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई थी.

सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित हैं. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 14 आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसी तरह विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी कामयाब रही. सूबे की 403 विधानसभा सीटों में से 86 सीटें आरक्षित हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में 86 आरक्षित सीटों में से 76 सीटें बीजेपी ने जीती थीं. इससे पहले 2012 में 55 आरक्षित सीटों पर जीतकर सत्ता पर अखिलेश यादव विराजमान हुए थे.

लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा दोनों को काफी बड़ा नुकसान बीजेपी से उठाना पड़ा है. सपा-बसपा दोनों पार्टियां अपने राजनीतिक वजूद पर खतरे को देखते हुए अब साथ आ गई हैं. इसका नतीजा रहा कि बसपा के समर्थन से उपचुनाव में सपा ने बीजेपी को करारी मात दी. इसी के बाद दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की नींव पड़ी.

Advertisement

अंबेडकर जयंती के मौके पर सपा-बसपा ने अपने इस गठबंधन की एक्सरसाइज करने की रणनीति बनाई है. इसके जरिए सपा डॉ. अंबेडकर पर बनी शॉर्ट फिल्म को हर जिले और गांव स्तर पर दिखाएगी. इसके अलावा उनके जीवन पर बनी किताब वितरित करेगी. साथ ही सभी जिलों में संगोष्ठी का आयोजन भी किया जाएगा. सपा इतने बड़े स्तर पर पहली बार अंबेडकर के लिए कार्यक्रम कर रही है. समाजवादी पार्टी का यह कदम BSP के साथ हुए गठबंधन के बाद माहौल बनाने की दूसरी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती हर साल अंबेडकर पार्क में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देती हैं और अपने कैडर को संबोधित करती हैं. इस बार बाबा साहेब के जन्मदिन में BSP अपने इन कार्यक्रमों के अलावा जिलों में अलग से बड़े कार्यक्रम करेगी जिसमें पार्टी के बड़े नेता अलग-अलग जिलों में शामिल होंगे. इस बार दोनों पार्टियां बाबा साहेब के जन्मदिन के आयोजन में बीजेपी से पीछे नहीं दिखना चाहती हैं. इसीलिए दोनों पार्टियों ने बड़े स्तर पर कार्यक्रम एक साथ करने की योजना बनाई है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement